पिछले दिनों स्वामी अमृतानंद नामधारी एक व्यक्ति संत श्री आशारामजी बापू को रिहा कराने की बातें बोलता नजर आया । वेश देखकर कोई भी इसे पहले तो साधु मान लेगा लेकिन इसके कारनामे जानने पर इसका असली चेहरा बेनकाब हो जाता है । यह कभी स्वयं को ‘जंगल का विरक्त बाबा’ बताता दिखता है तो कभी ‘स्मार्टफोन वीर’ बनकर यूट्यूब चैनल पर ‘लाइव डिबेट्स’ की एंकरिंग करते हुए लोगों से पैसों की भीख माँगते हुए गिड़गिड़ाता नजर आता है । नाम तो इसके इतने हो गये हैं कि जिसका कोई हिसाब नहीं… यह कहीं पर अपना नाम आनंद गोपाल दास बताता है तो कहीं पर स्वामी अमृतानंद, कई लोग इसे ‘धनानंद’ भी कहते हैं । इसके ‘घोटालानंद’, ‘ठगानंद’, ‘भगौड़ानंद’… कितने-कितने नाम पड़ गये हैं, कौन गिनने बैठे ! जितने नाम उतने ही रंग ! इसके बदलते नामों और तेवरों के कारण कुछ लोग इसे ‘गिरगिट’ की उपाधि भी देने लगे हैं । बहुनाम, बहुरंगधारी यह आखिर है कौन ? इसके क्या-क्या करतब हैं ? जानते हैं वर्षों तक इसके करीबी रह चुके सामाजिक कार्यकर्ता श्री मुकेश कुमार शर्मा से :
अपने बचाव के लिए पते तो बदले, इसने गुरु तक बदल डाले
मैं इसे एक साधु समझकर इसके साथ जुड़ा लेकिन समय पाकर जब इसकी करतूतें देखीं तो मैं सावधान हो गया । मेरी तरह दूसरे लोग ठगे न जायें इसलिए मैं सच्चाई सबके सामने प्रस्तुत करता आया और आज भी कर रहा हूँ । साधुवेशधारी आनंद गोपाल दास को भूमाफियागिरी और ठगी में महारथ हासिल है । यह बड़े-बड़े उद्योगपतियों से दोस्ती करके धर्म के नाम पर धन ऐंठता है, उनको अँधेरे में रख के जमीनें खरीदता है, पैसों की हेराफेरी करता है और जब इसका भांडा फूटता है तो वहाँ से फरार हो जाता है ।
जैसे बहुरूपिये रूप बदलते हैं, अमीर गाड़ियाँ बदलते हैं, अपराधी नाम और पते बदलते हैं ऐसे ही चार सौ बीसी करने में धुरंधर आनंद गोपाल दास लोगों को चूना लगाने के लिए पते तो बदलता है, गुरु भी बदलता रहता है ।
सन् 2000 के आसपास इसने मान मंदिर, बरसाना (जि. मथुरा, उ.प्र.) के श्री रमेश बाबा की शरण ली । दलाली एवं भक्तों के साथ धोखाधड़ी करने के कारण उसे यहाँ से भगा दिया गया । फिर यह मथुरा के कोसी कलाँ क्षेत्र में गया, यहाँ पर भी इसने अपना स्वभाव न छोड़ा । फिर यह भक्ति वेदांत नारायण महाराजजी का चेला बना और भरतपुर में आकर गौशाला के नाम पर एक उद्योगपति के साथ धोखेबाजी की । वहाँ से पलायन कर गोवर्धन (जि. मथुरा, उ.प्र.) गया और अब की बार यह श्री जुगल किशोर बाबा के पास जा ठहरा । सरकारी कागजों में यह अपना पता गुरु कार्ष्णि आश्रम, गोवर्धन बताता है और कार्ष्णि स्वामी श्री शरणानंद को अपना गुरु बताता है । जैसे किसी नाटक में काम करनेवाली अभिनेत्री को कुछ ही मिनटों में वेश बदलकर अलग-से-अलग किरदार निभाना एक खेल जैसा लगता है वैसे ही इस कलाकार को गुरु बदलना एक खेल या मखौल जैसा कार्य प्रतीत होता है । गुरु की गुरुता और शिष्यत्व की गरिमा चंद रुपयों के लिए नाचनेवाली कोई कठपुतली क्या जाने ?
की लाखों की हेराफेरी व जमीन-खरीदी में धाँधलेबाजी
2010 के आसपास आनंद गोपाल दास आगरा के एक सुप्रसिद्ध उद्योगपति पुरुषोत्तम अग्रवाल के सम्पर्क में आया और उनसे भरतपुर में गौशाला के निर्माण हेतु मोटी रकम दान में ली । इसके चलते इसने 28 जनवरी 2011 को जमीन का अपने निजी नाम पर बयनामा कराया । 15 अक्टूबर 2011 को पुरुषोत्तम अग्रवालजी ने ट्रस्ट डीड तैयार की और ‘स्वदेशी गऊघनश्याम आश्रय’ ट्रस्ट का पंजीकरण कर आनंद गोपाल को इसका प्रबंधन ट्रस्टी घोषित किया । गौशाला खुलने के बाद यह क्षेत्रवासियों से भी गौ-सेवा के नाम पर दान लेता रहा । ट्रस्टी तो बन गया पर जब जमीन ट्रस्ट के नाम करने की बात आयी तो यह टालमटोली करने लगा । मसला बढ़ते-बढ़ते स्थिति ऐसी आ गयी कि उन उद्योगपति की कम्पनी द्वारा आनंद गोपाल दास के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गयी ।
अब इसने गुप्तरूप से उस जमीन का पंजीकरण देवस्थान विभाग, भरतपुर में ‘घनश्याम गौशाला एवं देवी मंदिर सेवा समिति’ के नाम से करवा लिया, जिसका संस्थापक व अध्यक्ष यह स्वयं बन गया और एक लीज डीड के द्वारा उक्त भूमि स्वयं को ही (माने अध्यक्ष आनंद गोपाल दास को) 15 वर्षों के लिए 1500 रुपये प्रतिमाह के किराये पर दे दी ।
जमीन हथियाने की साजिश को पूरा कर यह भगौड़ा लाखों का घोटाला करके 1500 से ज्यादा गायों को अनाथ छोड़कर वहाँ से पलायन हो गया । गायों के लिए न घास न भूसा और ऊपर से पहले की उधारी चुकाने का दबाव ! ऐसे में मैंने (मुकेश शर्मा ने) अपनी निजी जमीन बेचकर उधार चुकाया और गायों के लिए भी व्यवस्था की किंतु इसने कभी गौशाला की सुध नहीं ली और अब धर्मात्मा होने का ढोंग कर रहा है !
जब जमीन की खरीदी के मामले की तह तक गये तो पता चला कि इसने उन उद्योगपति से प्राप्त धन से जो जमीन खरीदी थी उस पर इसने गौशाला बनायी ही नहीं थी । उद्योगपति को अँधेरे में रखते हुए गौशाला अवैधरूप से वनभूमि पर कब्जा करके बनायी गयी थी ।
जहाँ-जहाँ इसके पग पड़े वहाँ-वहाँ इसने घोटाले किये । ठगों का सरदार यह भ्रष्टाचारी शख्स दिन-रात यही सोचता है कि ‘कैसे लोगों की जेबें खाली करूँ, कैसे अपना बैंक बैलेंस बढ़ाऊँ ?’
ध्वस्तीकरण की साजिश रच के लोगों को किया बेघर
जैसे गीध की दृष्टि मरे हुए ढोर के मांस पर होती है, असुरों की प्रवृत्ति दूसरों का खून चूसकर उन्हें तड़पाने का विकृत आनंद लेने में होती है ऐसे ही असुरानंद को कैसा-कैसा विकृत किस्म का मजा लेने में आनंद आता है यह देखकर आप हैरान हो जायेंगे ।
अमृतानंद ऊर्फ आनंद गोपाल दास ऊर्फ जंगल का बाबा ने अगला निशाना बनाया गोवर्धन के गरीबों, भगवद्भक्तों व साधु-संतों को । गोवर्धन व आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण-सुरक्षा के नाम पर इसने एन.जी.टी., दिल्ली में एक जनहित याचिका दायर की और कानूनी कार्यवाही के दौरान एन.जी.टी. के न्यायाधीश को गुमराह किया । कई लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाये गये तथा हिन्दू मंदिरों व साधु-संतों के आश्रमों को ध्वस्त किया गया ! सूत्रों का कहना है कि आनंद गोपाल दास ने यह सब किसी उद्योगपति के कहने पर कराया था । उक्त ध्वस्तीकरण का विरोध करते हुए मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुँचा तो एन.जी.टी. के आदेश को स्थगित किया गया । आज भी उन गरीबों को मकान, भक्तों एवं संतों को मंदिर, आश्रम नहीं प्राप्त हो सके हैं ।
रिपोर्ट से सिद्ध हुआ 1.75 हेक्टेयर वनभूमि का अतिक्रमण
वन विभाग ने गौशाला की जमीन की जाँच की तो आनंद गोपाल दास के खिलाफ अतिक्रमण का मामला दर्ज किया गया । अब बचाव के लिए आनंद गोपाल दास ने एक नया दाँव खेला । इसने एक इकरारनामा कराया जिसमें यह कहता है कि ‘‘मैं जिस देवी मंदिर गौशाला में रहता था उस स्थान पर मेरा किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं है । यह ग्रामसभा सेऊ और ग्रामसभा परमदरा की सम्पत्ति है । गाँववालों के आग्रह पर मुझे गौशाला की सेवा के लिए नियुक्त किया गया था । मैं सभी संबंधित ग्रामसभा के पदाधिकारियों के समक्ष गौशाला के दायित्व को वापस समर्पित करता हूँ ।’’
आखिर वन अधिकारी की तथ्यात्मक रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट हो गयी कि गौशाला द्वारा लगभग 1.75 हेक्टेयर वनभूमि पर अतिक्रमण हुआ है ।
देता विरोधाभासी बयान, समझता कानून को खिलौना
गौशाला को ग्रामसभा की सम्पत्ति बतानेवाला यह कपटी, धूर्त अपनी ही बात से पुनः पलटा । सहायक वन संरक्षक न्यायालय, भरतपुर में यह ठग बयान देता है कि ‘‘मैं श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल के साथ उनकी गौशाला पर जाता था । उन्होंने अपने पैसों से एवं अपने परिवार के नाम से जमीन खरीदकर अपनी गौशाला का निर्माण किया, जिसमें मेरा कोई लेना-देना नहीं है ।’’
उक्त न्यायालय व राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वनभूमि खाली करवाने का निर्देश दिया गया । पर कानून-व्यवस्था का गलत इस्तेमाल करनेवाला एवं न्यायपालिका की आँखों में धूल झोंकनेवाला यह शख्स कहाँ इसका पालन करनेवाला था ! आज तक वह भूमि खाली नहीं हुई ।
हाल ही में एक ऑनलाइन भेंटवार्ता में ‘द ब्रज फाउंडेशन’ के सचिव श्री रजनीश कपूर ने इस लुटेरे से सावधान करते हुए कहा कि ‘‘2001-02 में आनंद गोपाल दास बरसाना में श्री रमेश बाबा के आश्रम में रहता था । इसने देखा कि हम लोग बाबा के पास आते हैं तो एक दिन मेरे पीछे पड़ गया कि ‘मुझे सरकारी ऑफिस में जाना पड़ता है, भागादौड़ी करनी पड़ती है, एक मोटरसाइकिल दिला दीजिये ।’ बहुत खुशामद करने लगा तो मैंने दिला दी । लोगों ने देखा तो कहा कि ‘आपने क्यों दिलायी ? यह तो दलाली करता है…’ तो यह शुरू से ही धाँधलेबाज है, दान की राशि के अंदर भी इसने डंडी मारने (हाथ मारने) का काम किया है । एक समय जिस व्यक्ति के पास मोटरसाइकिल खरीदने तक के पैसे नहीं थे आज वह महँगी-महँगी गाड़ियों में कैसे घूम रहा है ? इसके पास कहाँ से पैसे आते हैं इसकी जाँच होनी चाहिए ।’’
न आयें इस ठग के झाँसे में
देश के अलग-अलग स्थानों में ठगी करके अब इसने निशाना बनाया है संत आशारामजी बापू के भक्तों को । जैसे रावण ने हनुमानजी को संजीवनी बूटी लाने से रोकने के लिए कालनेमि राक्षस भेजा था, जो रामभक्त बनकर रामजी का गुणगान गा रहा था ऐसे ही यह शख्स षड्यंत्रकारियों द्वारा भेजा गया ‘कलियुग का कालनेमि’ है जो खुद को आशारामजी बापूजी का हितैषी दिखा के उनके शिष्यों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है । मैं बापू के भक्तों से यही कहूँगा कि आप सावधान रहें, इसके झाँसे में न आयें ।
जैसे महाभारत का शकुनि कौरवों का शुभचिंतक बनकर उन्हें गुमराह करता रहा, अधर्म की ओर ले जाता रहा और कुरु वंश के विनाश का कारण बना ऐसे ही यह ढोंगी साधु खुद को बापू और साधकों का शुभचिंतक बताते हुए भोले-भाले साधकों की श्रद्धा का दुरुपयोग कर उन्हें सत्संग, सेवा व सद्गुरु से दूर करके पतन की ओर ले जाने की कोशिश कर रहा है । इसलिए लोगों को सावधान करने के लिए मुझे यह जानकारी देनी पड़ रही है ।
मैंने (मुकेश शर्मा ने) विडियो के जरिये आनंद गोपाल दास की पोल खोली तो इसने मेरे खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करा दी, जिसमें यह स्वयं को बाल ब्रह्मचारी घोषित करता है पर मैं तो कहता हूँ कि यह ब्रह्मचारी नहीं, भ्रष्टाचारी है । मैं दावे से कहता हूँ कि यह इतना बड़ा अपराधी है कि यदि इसकी जाँच हो गयी तो इसके कई पाप-कृत्य निकलेंगे और यह आजीवन जेल में रहेगा । इसने अपने पिता का नाम अब तक क्यों छुपाकर रखा है ? इसके माता-पिता कौन हैं, पूरा सही पता क्या है इसकी भी जाँच हो । इसके काले कर्म सामने आने लगे तोे इसने मुझे चुप कराने के लिए कई बार अपने चमचों से धमकियाँ भी दिलवायीं ।
मैं शासन-प्रशासन से माँग करता हूँ कि आनंद गोपाल दास के ऊपर चल रहे मुकदमों व उसके बैंक अकाउंट की जल्द-से-जल्द निष्पक्ष जाँच की जाय । सभी श्रद्धालुओं व आम जनता से यही कहूँगा कि कोई भी इसके झाँसे में न आये कारण कि जिस दिन इस पर जाँच-तंत्र की गाज गिरेगी उस दिन उन लोगों को भी हिरासत में लिया जायेगा जो इसका साथ देते हैं या इसको चंदा देते हैं । इसको चंदा देनेवालों के अकाउंट की भी जाँच होगी । आप सब निर्दोष श्रद्धालु इसके चक्कर में क्यों फँसें ? अभी से सावधान हो जायें, यही मेरी प्रार्थना है । भगवान सबको सद्बुद्धि दें ।
– श्री मुकेश शर्मा , सामाजिक कार्यकर्ता वृंदावन