रेलवे में सफाई का नया अध्याय: ड्रोन टेक्नोलॉजी से 25 कोच 30 मिनट में धुले

भारतीय रेलवे ने ट्रेनों की सफाई के पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए अब आधुनिक तकनीक की ओर कदम बढ़ाया है। गुजरात के सूरत में उधना यार्ड पर उदना–ब्रह्मपुर अमृत भारत एक्सप्रेस के 25 कोचों को ड्रोन की मदद से धोया गया। हाई प्रेशर वॉटर जेट से लैस इन ड्रोन ने सिर्फ़ 30 मिनट में पूरी ट्रेन को साफ कर दिया। यह पहल केंद्र सरकार के “स्पेशल कैंपेन 5.0” का हिस्सा है, जिसके तहत रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की सफाई को तेज़, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।

अब तक ट्रेनों के ऊपरी हिस्सों की सफाई के लिए मैन्युअल तरीका अपनाया जाता था। कर्मचारियों को सीढ़ियों या प्लेटफॉर्म से ऊंचाई पर चढ़कर पानी और ब्रश से सफाई करनी पड़ती थी। इसमें समय भी अधिक लगता था और सुरक्षा को लेकर भी जोखिम बने रहते थे। कई बार ऊपरी हिस्सों की पूरी तरह सफाई हो ही नहीं पाती थी।

ड्रोन तकनीक इन समस्याओं का हल बनकर सामने आई है। हाई प्रेशर वॉटर जेट से लैस ड्रोन उन हिस्सों तक आसानी से पहुंच सकते हैं जहां इंसान के लिए जाना मुश्किल होता है। इस तरीके से समय की बचत होती है, सफाई अधिक प्रभावी होती है और काम करने वालों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।

इस तकनीक का पहला ट्रायल असम के कामाख्या स्टेशन पर किया गया था। वहां मिले सकारात्मक नतीजों के बाद अब इसे गुजरात में बड़े स्तर पर आज़माया गया। उधना यार्ड में की गई इस सफाई को रेलवे के अधिकारियों ने करीब से देखा और इसकी कार्यकुशलता का आकलन किया। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो आने वाले समय में देश के अन्य प्रमुख स्टेशनों और यार्डों में भी ड्रोन से सफाई की व्यवस्था की जा सकती है।

कई यूज़र्स ने रेलवे की इस तकनीकी पहल की सराहना की। कुछ ने लिखा कि यह कदम रेलवे को आधुनिक और स्वच्छ बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव है। वहीं कुछ लोगों ने इसके खर्च और ज़रूरत पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि सफाई जैसे काम के लिए ड्रोन तकनीक अपनाना व्यावहारिक तो है, लेकिन इसकी लागत और रखरखाव भी ध्यान में रखना होगा।

रेलवे अधिकारियों का मानना है कि शुरुआती निवेश के बावजूद, लंबे समय में यह तकनीक सफाई की गुणवत्ता को बढ़ाएगी और नियमित रखरखाव में समय की काफी बचत करेगी। साथ ही, इससे कर्मचारियों को ऊंचाई पर जाकर काम करने के खतरे से भी राहत मिलेगी। अगर यह मॉडल सफल रहता है तो भविष्य में ट्रेनों की सफाई के पूरे सिस्टम में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।