अडानी समूह का इजरायल की टॉवर कंपनी के साथ महाराष्ट्र, भारत में $10 बिलियन का चिप प्लांट लगाने की योजना

भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को लेकर हाल के दिनों में काफी हलचल मची हुई है। जहां एक तरफ देश की प्रमुख कंपनियां इस क्षेत्र में अपना कदम बढ़ा रही हैं, वहीं केंद्र और राज्य सरकारें भी इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधार कर रही हैं। इस उद्योग में भारत की गंभीरता तब और बढ़ गई जब टाटा समूह ने गुजरात में देश का पहला सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र स्थापित करने का ऐलान किया। इसके बाद अब अडानी समूह ने इजरायली कंपनी टॉवर सेमीकंडक्टर के साथ मिलकर दूसरा सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने की घोषणा की है। इस प्लांट की स्थापना महाराष्ट्र में की जाएगी, और इसके लिए लगभग 10 बिलियन डॉलर (₹84,000 करोड़) का निवेश किया जाएगा।

सेमीकंडक्टर की आवश्यकता और भारत की स्थिति

आज की तकनीकी दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग हर उपकरण में हो रहा है, चाहे वह मोबाइल फोन हो, कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस। सेमीकंडक्टर का उत्पादन देश के लिए अत्यधिक आवश्यक हो गया है, क्योंकि वर्तमान में भारत अपनी अधिकांश चिप्स विदेशों से आयात करता है। भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य इस निर्भरता को कम करना और देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाना है।

हालांकि भारत सेमीकंडक्टर उत्पादन के मामले में अभी भी काफी पीछे है, लेकिन टाटा और अब अडानी जैसे बड़े समूहों के इस क्षेत्र में प्रवेश से उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

अडानी का सेमीकंडक्टर प्लांट: महत्वपूर्ण जानकारी

अडानी समूह का सेमीकंडक्टर प्लांट इजरायली फर्म टॉवर सेमीकंडक्टर के साथ एक संयुक्त उद्यम के तहत स्थापित किया जा रहा है। महाराष्ट्र की सरकार ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है, और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर खुशी जाहिर की है। उनके अनुसार, इस परियोजना से महाराष्ट्र में 1.2 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करेगा और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा।

शुरुआत में इस प्लांट में हर महीने 40,000 वेफर (विवरण में प्लेट्स) का उत्पादन किया जाएगा, जो भविष्य में बढ़कर 80,000 वेफर प्रति माह तक हो जाएगा। पहले चरण में ₹58,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा और दूसरे चरण में ₹25,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। कुल मिलाकर, यह निवेश ₹84,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा, जो लगभग 10 बिलियन डॉलर के बराबर है।

केंद्र सरकार की मंजूरी क्यों जरूरी है?

हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी इसे केंद्र सरकार की भी मंजूरी मिलनी बाकी है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए विशेष सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाएं प्रदान की जा रही हैं। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (India Semiconductor Mission) के तहत, केंद्र सरकार योग्य परियोजनाओं के लिए लागत का 50% तक प्रोत्साहन देती है। यह प्रोत्साहन राज्य सरकार की दी जाने वाली सब्सिडी से अलग है, जिसमें भूमि, बिजली और पानी जैसी आवश्यकताओं में छूट शामिल होती है।

सेमीकंडक्टर मिशन के तहत, केंद्र सरकार ने पिछले साल 10 बिलियन डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया था। इस पैकेज का मुख्य उद्देश्य भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना था। इस पैकेज के तहत कई कंपनियों ने अपने प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन किया, जिसमें टाटा और अडानी ग्रुप प्रमुख हैं।

सेमीकंडक्टर उत्पादन का महत्व

भारत में सेमीकंडक्टर का उत्पादन केवल देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वर्तमान में ताइवान और अमेरिका जैसे देश इस उद्योग में अग्रणी हैं, और चीन भी तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर उत्पादन में महारत रखने वाले देशों के पास तकनीकी शक्ति होती है, क्योंकि यह चिप्स दुनिया की अधिकांश डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री के लिए आवश्यक होती हैं।

आज हर क्षेत्र में सेमीकंडक्टर चिप्स की मांग बढ़ रही है, चाहे वह इलेक्ट्रिक वाहन हो, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 5जी नेटवर्क, या अन्य तकनीकी उन्नति। भारत में इसका उत्पादन बढ़ने से देश की तकनीकी क्षमता मजबूत होगी और उसे वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण स्थान मिल सकेगा।

टाटा के बाद अडानी की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत में पहला सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट टाटा समूह द्वारा गुजरात के ढोलेरा में स्थापित किया जा रहा है। यह संयंत्र भारत में चिप निर्माण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। अडानी समूह का प्लांट दूसरा चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हो सकता है, बशर्ते इसे केंद्र सरकार से अंतिम मंजूरी मिल जाए।

टाटा का प्लांट 40 नैनोमीटर की पुरानी तकनीक वाली चिप्स का उत्पादन करेगा। हालांकि, यह केवल शुरुआत है, और भारत को जल्द ही 10 नैनोमीटर, 5 नैनोमीटर, और 3 नैनोमीटर की चिप्स बनाने की दिशा में काम करना होगा, जो वर्तमान में उन्नत उपकरणों में इस्तेमाल हो रही हैं।

भविष्य की योजना और संभावनाएँ

भारत सरकार का सेमीकंडक्टर मिशन अगले कुछ वर्षों में और अधिक निवेश और परियोजनाएं आकर्षित करने के लिए तैयार है। केंद्र सरकार की योजना है कि वह 10 बिलियन डॉलर के मौजूदा प्रोत्साहन पैकेज को बढ़ाकर 15 बिलियन डॉलर तक कर दे, ताकि अधिक से अधिक कंपनियां भारत में अपने संयंत्र स्थापित कर सकें।

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान भी सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की गई। सिंगापुर सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, और वहां से प्राप्त अनुभव और तकनीक से भारत को अपने सेमीकंडक्टर उद्योग को और सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार देश के तकनीकी भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। टाटा और अडानी जैसे बड़े समूहों का इस क्षेत्र में निवेश भारतीय उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें इन परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी देकर और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करके इस उद्योग को कैसे प्रोत्साहित करती हैं।

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