11 वर्ष 4 माह के बाद एक झूठे केस में सजा काट रहे संत आशारामजी बापू को सुप्रीम कोर्ट के बाद जोधपुर हाईकोर्ट ने भी बड़ी राहत दी है. संत श्री आशारामजी बापू को 31 मार्च तक चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत देने का आदेश जोधपुर उच्च न्यायालय ने आज मकर संक्रांति (उत्तरायण) के दिन दिया है जिसके अनुसार आज वे बाहर आ सकते हैं । इस खबर से संत श्री आशारामजी बापू के शिष्यों में खुशी की लहर छा गई है, भारत ही नहीं विदेशों में भी साधक भगवन्नाम संकीर्तन में झूमते हुए अपने बापूजी के बाहर आने पर आनंदित हो उठे हैं । जगह जगह दीप जलाकर अपने गुरुजी का स्वागत कर रहे हैं ।
- आवेदन का आधार:
संत श्री आशारामजी बापू ने अपनी स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए चिकित्सा उपचार के लिए जमानत मांगी थी । बापूजी की आयु 86 वर्ष है और वे कई उम्र-संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनमें दिल के दौरे भी शामिल हैं। - सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ:
संत श्री आशारामजी बापू के वकील ने उच्चतम न्यायालय के 07 जनवरी 2025 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी। - अंतरिम जमानत की अवधि:
जोधपुर उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुसरण करते हुए, 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत की अनुमति दी है। - शर्तें:
संत श्री आशारामजी बापू समूह में अपने अनुयायियों से नहीं मिलेंगे। उनकी सुरक्षा के लिए तीन पुलिस कर्मी तैनात रहेंगे।यदि वे जोधपुर के बाहर चिकित्सा उपचार लेना चाहते हैं, तो पुलिस कर्मियों के यात्रा और रहने का खर्च संत श्री आशारामजी बापू को उठाना होगा। - निष्कर्ष:
संत श्री आशारामजी बापू को 31 मार्च 2025 तक जमानत दी गई है, और यह शर्तों के अधीन है। इस अवधि के बाद की आवश्यकताओं के लिए संत श्री आशारामजी बापू को पुनः अदालत में आवेदन करना होगा। यह जमानत बापूजी की चिकित्सा स्थिति और मानवता के आधार पर दी गई है ।