इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारत की आरक्षण व्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति यदि हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई, इस्लाम या किसी अन्य गैर-हिंदू धर्म को अपनाता है, तो वह SC या ST आरक्षण लाभ का पात्र नहीं रहता।
हाई कोर्ट ने इसे संविधान के साथ धोखाधड़ी करार दिया। यह फैसला जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की सिंगल बेंच ने 21 नवंबर 2025 को सुनाया।
फैसला ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन्स’ के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह मामला महराजगंज जिले के मथानिया लक्ष्मीपुर एकड़ंगा गांव से जुड़ा है। याचिकाकर्ता जितेंद्र साहनी मूलतः केवट समुदाय से आते थे।
साहनी ने 2023 में अपनी निजी जमीन पर रविवार और बुधवार को यीशु मसीह के वचनों पर आधारित प्रार्थना सभा की अनुमति मांगी थी। SDM ने पहले अनुमति दी, लेकिन स्थानीय विरोध के बाद 3 मई 2023 को इसे रद्द कर दिया गया।
इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जिसने इसे राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा माना। कोर्ट के अनुसार धर्मांतरण के बाद SC-ST आरक्षण का दावा असंवैधानिक है।
फैसले के बाद आरक्षण नीति और धर्मांतरण पर नई बहस शुरू हो गई है।
