रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं जो देखने में सुरक्षित लगती हैं, लेकिन लंबे समय में सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इन्हीं में से एक है किचन में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला एल्युमिनियम फॉयल, जिसे लोग रोटी लपेटने, खाना पैक करने और पकाने तक में इस्तेमाल करते हैं।
विज्ञान के अनुसार एल्युमिनियम एक प्रतिक्रियाशील धातु है, जो गर्मी और खट्टे या नमकीन खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने पर धीरे-धीरे भोजन में घुल सकती है, खासतौर पर टमाटर, नींबू, सिरका, अचार और मसालेदार ग्रेवी जैसी चीजें इसकी रिएक्शन को तेज कर देती हैं।
रिसर्च में यह सामने आया है कि सामान्य इस्तेमाल में यह मात्रा कम होती है, लेकिन अगर रोजाना गर्म या खट्टा खाना एल्युमिनियम फॉयल में पैक किया जाए, तो शरीर में एल्युमिनियम के जमा होने का खतरा बढ़ सकता है, जो आगे चलकर सेहत से जुड़ी समस्याओं की वजह बन सकता है।
वैज्ञानिक भाषा में एल्युमिनियम को न्यूरोटॉक्सिन माना जाता है, यानी यह नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है, ज्यादा मात्रा में जमा होने पर यह दिमाग और याददाश्त से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा सकता है, इसलिए इसका लंबे समय तक संपर्क चिंता का विषय माना जाता है।
एल्युमिनियम फॉयल में पैक खाना हड्डियों और किडनी पर भी असर डाल सकता है, विज्ञान बताता है कि एल्युमिनियम कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में रुकावट डालता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
आयुर्वेद में भी इसे शरीर में जमा होने वाले विषैले तत्वों से जोड़ा जाता है, आयुर्वेद मानता है कि किडनी शरीर का शोधन तंत्र है और उस पर ज्यादा बोझ पड़ने से कई तरह की बीमारियां जन्म ले सकती हैं, इसलिए भोजन के बर्तनों और पैकिंग को लेकर सावधानी जरूरी है।
सबसे ज्यादा खतरा तब होता है जब बहुत गर्म खाना सीधे एल्युमिनियम फॉयल में लपेट दिया जाता है, क्योंकि गर्मी इसकी सक्रियता बढ़ा देती है और भोजन में इसके कण मिलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है, जो रोजाना की आदत बन जाए तो नुकसान तय है।
हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि एल्युमिनियम फॉयल पूरी तरह जहर है या इसका इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर देना चाहिए, बल्कि विशेषज्ञों का कहना है कि सीमित और सही तरीके से उपयोग ही सबसे सुरक्षित उपाय है, ताकि सेहत पर इसका नकारात्मक असर न पड़े।
