अमेठी में कांग्रेस की जीत: किशोरी लाल ने स्मृति इरानी को हराया

कांग्रेस के उम्मीदवार किशोरी लाल ने अमेठी सीट पर बीजेपी की स्मृति इरानी को 1,67,196 मतों के बड़े अंतर से हराकर एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। पिछले लोकसभा चुनावों में, स्मृति इरानी ने अमेठी में गांधी परिवार का किला भेदने का काम किया था, लेकिन इस बार वे खुद गांधी परिवार के करीबी उम्मीदवार से पिछड़ गईं।

चुनावी दंगल और स्मृति इरानी की प्रतिक्रिया

इस बार अमेठी की सीट देश की हॉट सीटों में से एक थी, जहां पर सभी की निगाहें टिकी थीं। चुनाव परिणाम आने के बाद स्मृति इरानी ने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया और कहा, “आज नरेंद्र मोदी, योगी जी का आभार व्यक्त करती हूं। 30 वर्षों के काम को पांच साल में पूरा किया। जो जीते हैं, उनको बधाई। मैं आशा करती हूं कि हमने जितनी निष्ठा के साथ गांव-गांव जाकर सेवा की, उसी तरह सेवा होती रहेगी।”

राहुल गांधी और किशोरी लाल की उम्मीदवारी

राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की चर्चा जोर-शोर से चल रही थी, लेकिन उनके रायबरेली जाने की खबर आने के बाद लोगों में उत्साह कम हो गया। कांग्रेस के किशोरी लाल की उम्मीदवारी के एलान ने सभी को चौंका दिया। एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा, “राहुल गांधी, भाजपा नेता स्मृति इरानी के सामने चुनाव लड़ें, उनका इतना छोटा कद नहीं है।”

अमेठी में स्मृति इरानी की पहली जीत

साल 2019 में स्मृति इरानी ने अमेठी सीट पर राहुल गांधी को 55,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर भाजपा के कद्दावर नेताओं में अपनी जगह बना ली थी। इससे पहले 2014 के आम चुनावों में, जब भाजपा नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही थी, स्मृति इरानी ने राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ा और उन्हें तीन लाख से अधिक वोट मिले थे।

स्मृति इरानी का राजनीतिक सफर

स्मृति इरानी ने 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में पहले मानव संसाधन विकास मंत्री, फिर सूचना-प्रसारण और कपड़ा मंत्री के रूप में काम किया। हालांकि, उनके बयान और डिग्री को लेकर कई विवाद भी हुए। इसके बावजूद वे सुषमा स्वराज और निर्मला सीतारमण के साथ केंद्रीय कैबिनेट की प्रभावशाली महिला चेहरों में रहीं।

स्मृति इरानी का भाजपा में प्रवेश

स्मृति इरानी ने 2004 में दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। प्रमोद महाजन के मार्गदर्शन में उन्हें भाजपा में प्रवेश मिला। 2010 में नितिन गडकरी के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद, स्मृति को राष्ट्रीय महिला मोर्चे की कमान सौंपी गई और 2011 में वे गुजरात से राज्यसभा सांसद बनीं।

लिंगभेद और पहचान की लड़ाई

स्मृति इरानी ने पार्टी के भीतर लिंगभेद का सामना किया और अपने वाक कौशल का उपयोग करके राष्ट्रीय प्रवक्ता बनीं। साल 2014 का चुनाव हारने के बावजूद, उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई।

डिग्री विवाद

स्मृति इरानी पर चुनाव शपथपत्र में अपनी डिग्री की गलत जानकारी देने का आरोप लगा। उन्होंने एक चुनाव शपथपत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक होने की बात कही, जबकि दूसरे शपथपत्र में बीकॉम पार्ट वन की परीक्षा पास होने की जानकारी दी। 2019 चुनावों के नामांकन के समय भी उन्होंने घोषित किया कि वे ग्रैजुएट नहीं हैं।

अमेठी में संघर्ष और सेवा

स्मृति इरानी ने अमेठी में गांधी परिवार की सीट होने के बावजूद विकास न होने का मुद्दा उठाया और गांव-गांव जाकर जनता से संवाद किया। उन्होंने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई और 2019 में राहुल गांधी को हराकर भाजपा के एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।

इस बार अमेठी में उनकी हार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति में उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहता है, लेकिन जनता के दिलों में सेवा और संघर्ष की मिसाल कायम रहती है।

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