बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिंसा प्रभावित देश में कानून-व्यवस्था में सुधार लाने और ‘विध्वंसक कृत्यों’ को रोकने के लिए सेना को दो महीने के वास्ते मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की हैं।
जन प्रशासन मंत्रालय ने मंगलवार को सरकार के फैसले के संबंध में एक अधिसूचना जारी की और कहा कि यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
अधिसूचना के मुताबिक, मजिस्ट्रेट की शक्तियां सेना के कमीशनप्राप्त अधिकारियों को दी जाएंगी और यह आदेश 60 दिनों तक प्रभावी रहेगा।
सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस ने खबर दी है कि गृह सलाहाकर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को दावा किया कि सेना को मजस्ट्रेट की शक्तियां मिलने से लोग लाभान्वित होंगे।
आलम ने कहा, ‘‘जो पुलिस अधिकारी सेवा में नहीं लौटे हैं, उन्हें वापस आने की इजाजत भी नहीं दी जाएगी।’’
उन्होंने कहा , ‘‘बांग्लादेश के लोग बांग्लादेश की सेना के कमीशनप्राप्त अधिकारियों को मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिलने से लाभान्वित होंगे।’’
एक कार्यक्रम में आलम ने कहा, ‘‘जनसेवा सुनिश्चित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को मजिस्ट्रेट की शक्तियां दी गई हैं।’’
उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में कर्मियों की कमी है और इसी अंतर को पाटने के लिए सेना को मजिस्ट्रेट की शक्तियां दी गई हैं।
व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बीच पांच अगस्त को शेख हसीना नीत सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में कई पुलिसकर्मी ड्यूटी से गैर-हाजिर हैं।
हसीना के अपदस्थ होने से पहले और तत्काल बाद पुलिस जनाक्रोश का निशाना बनी थी। भीड़ ने उनके वाहनों में आग लगा दी थी और कई प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाया था।