सर्दियों में वॉक का सही समय क्या कहता है आयुर्वेद और विज्ञान

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत को बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है, लगातार मोबाइल और स्क्रीन पर समय बिताने से शरीर सुस्त होता जा रहा है, ऐसे में वॉक यानी टहलना सबसे आसान और असरदार उपाय माना जाता है।

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही वॉक को सेहत की बुनियाद बताते हैं, नियमित चलने से वजन संतुलित रहता है, दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं, मांसपेशियों में लचीलापन आता है और मानसिक तनाव भी कम होता है।

आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में कफ दोष बढ़ जाता है, इस वजह से शरीर में भारीपन, आलस्य और जकड़न महसूस होती है, अगर इस मौसम में सही समय पर वॉक न की जाए तो वजन बढ़ने और सर्दी-खांसी की समस्या बढ़ सकती है।

विज्ञान का मानना है कि ठंड के मौसम में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है, ऐसे में अगर नियमित वॉक की जाए तो कैलोरी तेजी से बर्न होती है और फैट जमा होने से बचाव होता है।

सर्दियों में वॉक का सबसे अच्छा समय सुबह 8 से 11 बजे के बीच माना गया है, इस समय हल्की धूप शरीर में गर्माहट लाती है, कफ दोष संतुलित होता है और प्राकृतिक विटामिन डी मिलने से हड्डियां मजबूत होती हैं।

सुबह खाली पेट हल्की वॉक करना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन आयुर्वेद कहता है कि कमजोर पाचन, लो ब्लड प्रेशर या चक्कर की समस्या वाले लोगों को पूरी तरह खाली पेट नहीं चलना चाहिए, ऐसे लोग गुनगुना पानी या थोड़ा फल लेकर निकलें।

अगर सुबह वॉक संभव न हो तो शाम 4 से 5:30 बजे का समय भी उपयुक्त माना जाता है, आयुर्वेद के अनुसार शाम की सैर पाचन को दुरुस्त रखती है और रात में भारीपन से बचाती है।

विज्ञान के मुताबिक शाम की वॉक तनाव कम करने में मदद करती है, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखती है और अच्छी नींद लाने में सहायक होती है, हालांकि ठंड में गर्म कपड़े पहनना जरूरी है ताकि शरीर की ऊष्मा बनी रहे।

कितनी देर चलना चाहिए इस पर आयुर्वेद कहता है कि वॉक इतनी हो कि हल्का पसीना आए लेकिन थकान न हो, आमतौर पर 40 से 45 मिनट की मध्यम गति वाली वॉक शरीर के लिए पर्याप्त मानी जाती है।

विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना 8 से 10 हजार कदम चलने से दिल स्वस्थ रहता है और वजन संतुलन में रहता है, बहुत तेज चलने के बजाय संतुलित गति से नियमित वॉक करना सर्दियों में सेहत के लिए सबसे बेहतर उपाय है।