17 साल बाद इंसाफ ने करवट ली।
Malegaon विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत सभी 7 आरोपी निर्दोष करार—NIA कोर्ट ने कहा, “कोई ठोस सबूत नहीं।”
लेकिन असली सवाल अब कांग्रेस की ओर घूम गया है।
🔥 क्या था कांग्रेस का खेल?
- 2008 में ब्लास्ट के बाद कांग्रेस ने ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द गढ़ा।
- साध्वी और सेना अधिकारी को आरोपी बनाया गया, सबूत के बिना, सिर्फ राजनीतिक नैरेटिव खड़ा करने के लिए।
- गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने खुद इस थ्योरी को इंटरनेशनल मंचों पर फैलाया।
- तुष्टीकरण की राजनीति के तहत कांग्रेस ने सनातन धर्म को कटघरे में खड़ा किया।
📣 कोर्ट का साफ़ संदेश:
“जिन्हें आतंकवादी कहा गया, उनके खिलाफ सबूत का टोटा था, न कि गुनाह का भार।”
राजनीति की पटकथा: जब ‘हिंदू आतंकवाद’ गढ़ा गया
- कांग्रेस सरकार पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि उसने अपनी तुष्टीकरण की राजनीति को मजबूत करने के लिए इस केस का राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
- तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने ‘हिंदू टेरर’ शब्द का सार्वजनिक इस्तेमाल कर इस नैरेटिव को जन्म दिया, जिसे कई सालों तक मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोहराया गया।
🙏 साध्वी प्रज्ञा का बयान:
“मैं एक साध्वी हूं, इसलिए मुझे निशाना बनाया गया। यह धर्म और राष्ट्रभक्ति के खिलाफ षड्यंत्र था।”
🧭 अब कांग्रेस को जवाब देना होगा:
- बिना सबूत 17 साल तक निर्दोषों को क्यों फंसाया गया?
- क्या ‘हिंदू आतंकवाद’ की कहानी वोट बैंक के लिए गढ़ी गई थी?
- सनातन प्रतीकों को बदनाम करने की कीमत कौन चुकाएगा?
यह फैसला सिर्फ 7 लोगों की बरी होने की कहानी नहीं, बल्कि उस राजनीतिक कुटिलता का पर्दाफाश है जिसमें धर्म के आधार पर निर्दोषों को फंसाया गया।
अब समय आ गया है जब राजनीति में अपराधीकरण और वैचारिक विद्वेष के आधार पर कार्रवाई को रोका जाए।