ब्रह्मचर्य और विज्ञान: क्या है सच्चाई?

वृंदावन में बैठे गुरुजी सीना ठोककर नौजवानों को ब्रह्मचर्य का पालन करने की सलाह दे रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर आप एक साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करें और नमक-रोटी खाएं, तो आपमें इतनी शक्ति आ जाएगी कि आप किसी भी कठिनाई को परास्त कर सकेंगे। उनका दावा है कि ब्रह्मचर्य से आयु, तेज, बल, विद्या, धन और यश में वृद्धि होती है। लेकिन विज्ञान इस पर क्या कहता है?

विज्ञान का दृष्टिकोण

विज्ञान के अनुसार, ब्रह्मचर्य मात्र एक अंधविश्वास है। कई रिसर्च पेपर मास्टरबेशन जैसी गतिविधियों को हमारे शरीर के लिए स्वस्थ और सामान्य मानते हैं। इन पेपरों के अनुसार, मास्टरबेशन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यह तनाव को कम करने और मूड को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।

श्री स्वामी शिवानंद का दृष्टिकोण

श्री स्वामी शिवानंद जी ने अपनी किताब “द प्रैक्टिस ऑफ ब्रह्मचर्य” में कहा है कि ब्रह्मचर्य के पालन से आयु, तेज, बल, ओज, विद्या, धन, और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। उनका दावा है कि सिर्फ 30 दिनों के ब्रह्मचर्य पालन से चेहरे पर चमक आना शुरू हो जाती है और बालों की समस्याएं समाप्त होने लगती हैं।

रिसर्च और वैज्ञानिक तथ्य

हाल ही में कुछ वैज्ञानिकों ने मर्दों को तीन हफ्ते तक स्ट्रिक्टली ब्रह्मचर्य का पालन करवाया और उनसे सीमन रिटेंशन करवाया। इसके परिणामस्वरूप उनकी बॉडी में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा बढ़ गई और उनके चेहरे पर निखार आ गया। उनकी स्किन ग्लो करने लगी और बाल मजबूत और शाइनी हो गए। इस रिसर्च ने साबित किया कि ब्रह्मचर्य स्किन और हेयर के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा

महर्षि पतंजलि जी ने अपने ग्रंथ “योगा सूत्र” में कहा है कि सीमन का संरक्षण जीवन प्रदान करता है और इसे बर्बाद करने से मृत्यु होती है। उनके अनुसार, सीमन मनुष्य के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जो शरीर को शक्ति और बुद्धि प्रदान करता है। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा इसे अंधविश्वास मानती है।

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य

एक केस स्टडी में, एक 17 साल का लड़का जो पढ़ाई और स्पोर्ट्स में उत्कृष्ट था, गलत संगत और इंटरनेट की फेक जानकारी के कारण मास्टरबेशन करने लगा। छह महीने के अंदर उसकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ खराब हो गई। डॉक्टर ने बताया कि उसकी स्थिति के पीछे मास्टरबेशन जिम्मेदार था और उसे ब्रह्मचर्य का पालन करने की सलाह दी।

ब्रह्मचर्य और जीवनशैली

हमारी प्राचीन सभ्यता में कहीं भी डिप्रेशन और मानसिक विकार जैसी समस्याएं नहीं होती थीं। लेकिन आधुनिक पश्चिमी सभ्यता का पालन करने से ऐसी समस्याएं बढ़ गई हैं। बड़े-बड़े पूंजीवादी लोग ब्रह्मचर्य जैसी नेचुरल चीजों को पब्लिकली सपोर्ट नहीं करते, क्योंकि इससे फार्मा और मेडिकल कंपनियों को फायदा होता है।

महर्षि पतंजलि और योग

महर्षि पतंजलि ने “योगा सूत्र” में यह एक्सप्लेन किया है कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से शरीर में मौजूद ब्लड की क्वालिटी शुद्ध हो जाती है और यह ब्लड ब्रेन, बॉडी, और माइंड को ट्रांसफॉर्म करता है। फॉरेन फिजिशियन डॉक्टर लुई ने भी इस बात को एक्सेप्ट किया है कि इंसानों के खून में सबसे कीमती और प्योर एटम्स सीमन के अंदर होते हैं।

ग्लोबल कॉन्शसनेस प्रोजेक्ट

1998 में रॉजर डी नेलसन ने “ग्लोबल कॉन्शसनेस प्रोजेक्ट” लॉन्च किया। इसमें कुछ मशीनें यूनिवर्स की फ्रीक्वेंसी को डिटेक्ट करके नंबर जनरेट करती थीं। 911 के टेररिस्ट अटैक के दिन इन मशीनों ने हाई फ्रीक्वेंसी वाले नेगेटिव ग्राफ दिखाना शुरू कर दिया था। इससे साबित हुआ कि यूनिवर्स की एनर्जी को डिटेक्ट किया जा सकता है।

निष्कर्ष

हमारे शास्त्रों और पुराणों में हजारों सालों से ब्रह्मचर्य के लाभ बताए गए हैं। लेकिन हम अपने पूर्वजों की बातों पर भरोसा नहीं करते जब तक कि कोई विदेशी इसे प्रमाणित न करे। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यूनिवर्स की हायर एनर्जीस को खुद से कनेक्ट किया जा सकता है और अल्टीमेट ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

विज्ञान और शास्त्रों के बीच का यह संघर्ष हमें यह सिखाता है कि हमें संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। हमें अपने प्राचीन ज्ञान का सम्मान करना चाहिए और साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाना चाहिए। ब्रह्मचर्य के फायदे और विज्ञान के तर्कों को समझकर ही हम एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं।

सन्दर्भ : –

https://www.youtube.com/watch?v=t_dWJ65ompw

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