71 साल के ताराचंद अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंसी सर्टिफिकेट के साथ मुस्कुराते हुए, प्रेरणादायक उपलब्धि की झलक।

CA Result : ताराचंद अग्रवाल बने 71 उम्र में Chartered Accountant

उम्र नहीं, संकल्प बड़ा हो तो कुछ भी असंभव नहीं

जयपुर के एक बुजुर्ग व्यक्ति थे – ताराचंद अग्रवाल। उम्र थी 71 वर्ष। लोग कहते हैं – इस उम्र में तो पढ़ाई छोड़कर भजन-पूजन का समय होता है। लेकिन ताराचंद जी की सोच कुछ और थी।

वो कहते थे –

“जब शरीर स्वस्थ है, मन जाग्रत है, तो क्यों न कुछ ऐसा करूं जिससे मेरी आत्मा संतुष्ट हो जाए?”

🕯️ पत्नी का वियोग, जीवन में अंधकार

वर्ष 2020 में कोरोना की दूसरी लहर में उनकी जीवन संगिनी उन्हें छोड़ कर चली गईं। जीवन में खालीपन उतर आया। दिन भर बस मौन और अकेलापन। पर एक दिन, पोते-पोतियों को पढ़ाते समय उन्होंने सोचा —

“जब मैं सबको पढ़ा सकता हूं, तो खुद क्यों नहीं पढ़ता?”

🧘‍♂️ संकल्प लिया – अब कुछ ‘बड़ा’ करना है

जब उन्होंने एमकॉम करने की बात की, तो बेटे ने कहा:

“पापा, कुछ करना है तो बड़ा कीजिए – सीए कीजिए।”
उनकी पोती बोली – “नानू, आप तो कुछ भी कर सकते हो।”

उस दिन उन्होंने निश्चय किया कि अब जीवन को एक नई दिशा देनी है। उसी दिन उन्होंने ICAI में सीए की पढ़ाई के लिए रजिस्ट्रेशन कर दिया।

🔥 अध्ययन को बनाया तपस्या

सीए जैसी कठिन परीक्षा के लिए उन्होंने कोचिंग नहीं ली।
घर, दुकान और पढ़ाई – सब कुछ साथ चला।
दर्द था, स्वास्थ्य की परेशानी थी – पर मन में हनुमान जी का सहारा था।

“हनुमान जी मेरे गुरु हैं। मैं रोज़ पाठ करता हूं।
उनके आशीर्वाद से ही तो मैं रोज़ 10 घंटे बैठ कर पढ़ पाया।”

🌿 सोशल मीडिया से दूरी

उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बना ली –

“फेसबुक और इंस्टाग्राम बच्चों की सबसे बड़ी परीक्षा छीन लेते हैं।
पढ़ाई करते समय इन्हें त्याग देना चाहिए – यही वैराग्य है।”

💔 जीवन संगिनी की याद

पत्नी हमेशा कहती थीं – अब काम छोड़ो, घूमो-फिरो, आराम करो।
लेकिन उनके जाने के बाद उन्होंने जीवन को फिर से अर्थ दिया।

“हमेशा 22 घंटे साथ रहते थे। आज भी लगता है,
वह मेरे साथ हैं – प्रेरणा बनकर।”

🌼 जीवन का संदेश

“हम नौकरी से रिटायर हुए हैं,
ज़िंदगी से नहीं।
रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी भी एक द्वितीय पारी है –
जहाँ हम अपने मन को, आत्मा को, और समाज को कुछ दे सकते हैं।”


📚 प्रेरणा जो हर उम्र के लिए है

ताराचंद जी ने यह साबित किया कि:

उम्र कोई बाधा नहीं है।

संकल्प हो तो रास्ता स्वयं बन जाता है।

जो भी कार्य हम श्रद्धा से करें, वही पूजा बन जाता है।

ध्यान और धर्म सिर्फ मंदिर तक सीमित नहीं, कर्म में प्रकट होते हैं।


📌 सीख:

“मनुष्य की हार तब नहीं होती जब वह गिरता है,
बल्कि तब होती है जब वह प्रयास करना छोड़ देता है।”

“सीए की डिग्री तो एक प्रतीक है – असल सफलता है आत्मा को फिर से जीवित करना।”