कैबिनेट ने मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी को दी मंजूरी

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने बुधवार को मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा।

सैफफ्लावर (कुसुम) के लिए प्रति क्विंटल 600 रुपए की बढ़ोतरी के साथ सबसे अधिक एमएसपी की घोषणा की गई है, इसके बाद मसूर के लिए प्रति क्विंटल 300 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। रेपसीड और सरसों के लिए प्रति क्विंटल 250 रुपए, चना के लिए प्रति क्विंटल 225 रुपए, जौ के लिए प्रति क्विंटल 170 रुपए और गेहूं के लिए 160 रुपए की बढ़ोतरी तय की गई है।

2026-27 मार्केटिंग सीजन के लिए अनिवार्य रबी फसलों के लिए एमएसपी में यह बढ़ोतरी, 2018-19 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को भारत में उत्पादन की औसत लागत का कम से कम 1.5 गुना तय करने की बात कही गई थी।

भारत में उत्पादन की औसत लागत पर गेहूं के लिए 109 प्रतिशत का लाभ, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 93 प्रतिशत, दाल के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 59 प्रतिशत, जौ के लिए 58 प्रतिशत और सरसों के तेल के बीज के लिए 50 प्रतिशत का लाभ होने की उम्मीद है। रबी फसलों के इस बढ़े हुए एमएसपी से किसानों को उचित मूल्य मिलेगा और फसल में विविधता लाने को बढ़ावा मिलेगा।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन फसलों की उत्पादन लागत में मजदूरी, किराए की जमीन, बीज, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों और कृषि भवनों का मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेट चलाने के लिए डीजल/बिजली आदि पर खर्च, अन्य खर्च और परिवार के सदस्यों की मजदूरी शामिल है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य बुआई के मौसम से काफी पहले घोषित कर दिए जाते हैं ताकि किसान अपनी आय को अधिकतम करने के लिए अपनी फसल की योजना बना सकें।

इस बीच, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2024-25 में चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।

देश में खरीफ अनाज का उत्पादन 1663.91 लाख मीट्रिक टन और रबी अनाज का उत्पादन 1,645.27 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है।