वामन जयंती पर आस्था का उत्सव

आज वामन जयंती है, जिसे भगवान विष्णु के पंचम अवतार के रूप में याद किया जाता है। पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि वामन भगवान ने दैत्यराज बलि के दंभ को तोड़कर धर्म की रक्षा की थी। एक छोटे ब्राह्मण बालक के रूप में अवतरित होकर उन्होंने केवल तीन पग भूमि मांगी और तीन पगों में पूरी धरती, आकाश और पाताल समेट लिया।

यह कथा हमें सिखाती है कि ईश्वर की शक्ति भले ही साधारण रूप में दिखे, लेकिन उसका प्रभाव संपूर्ण सृष्टि पर होता है।

वामन जयंती पर भक्तजन व्रत-उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और दान-पुण्य के कार्यों में जुटते हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान विशेष फलदायी होता है। लोग अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं।

इस अवसर पर सभी एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और यही कामना करते हैं कि भगवान विष्णु की कृपा से सभी का जीवन सुख, शांति और आरोग्यता से भरा रहे।

यह पर्व हमें विनम्रता और संतुलन का महत्व याद दिलाता है—कि चाहे सामर्थ्य कितना भी हो, अहंकार के आगे नहीं, बल्कि धर्म और ईश्वर के मार्ग पर चलना ही सच्ची विजय है।