परिचय
1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा से एक नया वायरस सामने आया, जिसे बाद में चांदीपुरा वायरस के नाम से जाना गया। मानसून के मौसम के साथ, इस वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर गुजरात में।
ताजा स्थिति
गुजरात में चांदीपुरा वायरस से अब तक 48 बच्चों की मौत हो चुकी है और 127 नए मामले दर्ज किए गए हैं। कई लोग विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं। यह वायरस मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के लोगों को निशाना बना रहा है।
केन्द्रीय टीम की समीक्षा
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, केंद्रीय टीम ने अरावली के प्रभावित इलाकों का दौरा किया। टीम ने भिलोडा और मेघराज तहसीलों में खून और रेत मक्खी के नमूने इकट्ठे किए, जिन्हें पुणे भेजा गया है।
प्रभावित क्षेत्र
5 जुलाई को अरावली जिले के मेघरज तहसील में पहला केस सामने आया और साबरकांठा की हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में भर्ती मरीज की 6 जुलाई को मौत हो गई।
विशेषज्ञों की राय
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के सीनियर रेजीडेंट डॉ. अर्पित ओबेरॉय के अनुसार, चांदीपुरा वायरस बेहद खतरनाक है। यह मुख्य रूप से 12 से 14 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, डायरिया, उल्टी और फ्लू शामिल हैं।
वायरस के बारे में जानकारी
चांदीपुरा वायरस एक आरएनए वायरस है, जो घरों में पाया जाता है और बच्चों को शिकार बनाता है। यह मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है और इसके लिए मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं।
बचाव के उपाय
बचाव के लिए बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं और शरीर को ढककर रखें। अगर तेज बुखार के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साफ-सफाई का उचित ध्यान रखें।
निष्कर्ष
1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा से शुरू होकर, यह वायरस समय-समय पर विभिन्न राज्यों में फैलता रहा है। उचित सावधानियों और जागरूकता से ही इस खतरनाक वायरस से बचाव संभव है।