बीजिंग में सरकार ने इंटरनेट पर निगरानी का नया चरण शुरू कर दिया है। चीन की साइबर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने ताज़ा दिशा-निर्देश जारी करते हुए सोशल मीडिया और वेब प्लेटफॉर्म पर “नकारात्मक” माने जाने वाले कंटेंट के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। अधिकारियों ने कहा कि यह कदम समाज में “सकारात्मक माहौल” बनाए रखने के लिए ज़रूरी है, लेकिन इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला माना जा रहा है।
नए नियमों के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मंच पर हिंसा, अफवाह, अफ़वाहों के ज़रिए सरकार की आलोचना, या “राज्य की स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाली” पोस्ट न फैलें। इसके लिए कंपनियों को 24 घंटे के भीतर ऐसे कंटेंट को हटाने का निर्देश दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने वाले प्लेटफॉर्म पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई हो सकती है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि “नकारात्मक” कंटेंट की परिभाषा बेहद अस्पष्ट है। इससे सरकार को आलोचनात्मक लेखों, राजनीतिक बहस या स्वतंत्र पत्रकारिता को रोकने का खुला रास्ता मिल सकता है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम खासकर आने वाले चुनावी और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों से पहले ऑनलाइन माहौल को पूरी तरह नियंत्रित करने की कोशिश है।
चीन में इंटरनेट पहले से ही “ग्रेट फ़ायरवॉल” के ज़रिए कड़ी निगरानी में है। गूगल, फेसबुक और एक्स (ट्विटर) जैसे कई वैश्विक प्लेटफॉर्म वहां पहले ही प्रतिबंधित हैं। अब देश के भीतर काम कर रही घरेलू सोशल मीडिया कंपनियों पर भी दबाव और बढ़ने वाला है।
सरकार का दावा है कि ये कदम समाज में “सकारात्मक ऊर्जा” फैलाने के लिए हैं, लेकिन कई पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह असहमति को दबाने की नई रणनीति है। आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि कंपनियां और आम लोग इस बढ़ती सख़्ती से कैसे निपटते हैं।