सर्दियों में सर्दी-जुकाम, खांसी और वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और ठंडी हवा के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है।
ऐसे में आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन च्यवनप्राश इम्युनिटी बढ़ाने और शरीर को अंदर से मजबूत बनाने का सबसे भरोसेमंद प्राकृतिक उपाय माना जाता है।
आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार च्यवनप्राश फेफड़ों, हृदय, त्वचा और मस्तिष्क को पोषण देकर संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
च्यवनप्राश का उल्लेख हजारों वर्ष पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है और इसका संबंध महर्षि च्यवन की रोगमुक्ति की कथा से जोड़ा जाता है।
ग्रंथों के अनुसार अश्विनी कुमारों द्वारा दिए गए विशेष रसायन के सेवन से महर्षि च्यवन वृद्धावस्था से मुक्त होकर पुनः युवा और शक्तिशाली हो गए थे।
इसी कारण इस आयुर्वेदिक औषधि को च्यवनप्राश नाम दिया गया और इसे दीर्घायु तथा बलवर्धक रसायन माना गया।
आयुर्वेद में च्यवनप्राश को एक अवलेह यानी जैम जैसी औषधि के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका मुख्य घटक आंवला होता है।
इसके निर्माण में अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय, पुनर्नवा, हरड़, दशमूल और ब्राह्मी सहित 30 से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है।
ये सभी औषधियां मिलकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं और संक्रमण से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
च्यवनप्राश में घी, तिल तेल, इलायची, दालचीनी और पिप्पली जैसे औषधीय मसालों का भी उपयोग किया जाता है, जिससे इसके गुण और प्रभाव बढ़ जाते हैं।
अंत में इसमें शहद और शर्करा मिलाई जाती है, जिसमें शहद हमेशा ठंडा होने के बाद मिलाया जाता है ताकि उसके औषधीय गुण नष्ट न हों।
इस संतुलित मिश्रण के कारण च्यवनप्राश स्वादिष्ट होने के साथ-साथ अत्यंत प्रभावी आयुर्वेदिक रसायन बनता है।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि सर्दियों में च्यवनप्राश का सेवन विशेष रूप से आवश्यक होता है क्योंकि इस मौसम में कफ दोष बढ़ जाता है।
च्यवनप्राश शरीर की आंतरिक अग्नि को संतुलित करता है, पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है और फेफड़ों को सुदृढ़ करता है।
इसके नियमित सेवन से सर्दी-खांसी, जुकाम, एलर्जी और बार-बार होने वाले संक्रमण से बचाव संभव होता है।
च्यवनप्राश में मौजूद आंवला, गिलोय और अश्वगंधा एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो रक्त को शुद्ध रखने में मदद करते हैं।
यह हृदय को सुरक्षा प्रदान करता है और मानसिक एकाग्रता तथा स्मरण शक्ति को भी बेहतर बनाता है।
साथ ही त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार लाकर चेहरे पर प्राकृतिक चमक बनाए रखता है।
आयुर्वेदाचार्य च्यवनप्राश का सेवन सुबह खाली पेट गुनगुने दूध के साथ करने की सलाह देते हैं ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।
बच्चों को आधा से एक चम्मच और वयस्कों को एक से दो चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करना उचित माना जाता है।
डायबिटीज मरीजों को शुगर-फ्री च्यवनप्राश का चयन करना चाहिए और अधिक मात्रा में सेवन से बचना चाहिए।
