सीआरपीएफ में ऐतिहासिक बदलाव: 2,600 रसोइये और पानी की सेवा देने वाले कर्मियों को पदोन्नति

पहली बार रसोइये और पानी देने वाले कर्मियों को मिला हेड कांस्टेबल पद

सीआरपीएफ के इतिहास में पहली बार, 1,700 रसोइयों और 900 पानी की सेवा देने वाले कर्मियों को कांस्टेबल पद से हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत किया गया है।

बदलाव की शुरुआत

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को जारी एक आदेश के माध्यम से यह महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। सीआरपीएफ के 85 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। कुल 2,600 रसोइयों और पानी देने वाले कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है।

1939 से सेवा में

ये कर्मी 1939 में ब्रिटिश काल में बल की स्थापना के समय से ही इसका हिस्सा रहे हैं। 2016 में जब केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कीं, तब इन्हें कुक और वॉटर कैरियर्स का विशिष्ट कैडर नाम दिया गया था।

लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति

अधिकारी ने बताया कि सबसे निचले स्तर पर भर्ती किए गए इन कर्मियों को कभी पदोन्नत नहीं किया जा सका और औसतन 30-35 वर्षों की सेवा देने के बाद भी उन्हें उसी पद पर सेवानिवृत्त कर दिया जाता था जिस पर वे भर्ती किए गए थे।

युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका

रसोइये और पानी पहुंचाने वाले कर्मी किसी भी बल के संचालन का एक अनिवार्य हिस्सा होते हैं क्योंकि वे युद्ध में जवानों को भोजन और पोषण प्रदान करते हैं। प्रत्येक सीआरपीएफ बटालियन में ऐसे लगभग 45 कर्मी होते हैं।

प्रस्ताव और मंजूरी

यह कदम सीआरपीएफ द्वारा तैयार किए गए और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप उठाया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कर्मियों की आकांक्षाओं का ध्यान रखा जाए और उन्हें अन्य कैडर कर्मियों की तरह पदोन्नत किया जाए।

भविष्य की योजना

पदोन्नत किए गए 2,600 कर्मियों की भर्ती 1983 से 2004 के बीच हुई थी। अधिकारी ने बताया कि शेष कर्मियों को भी समय रहते पदोन्नत कर दिया जाएगा।

इस बदलाव से सीआरपीएफ में काम करने वाले रसोइये और पानी की सेवा देने वाले कर्मियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगी है और यह दिखाता है कि बल अपने कर्मियों की मेहनत और समर्पण को मान्यता देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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