नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली ने भारतीय आबादी में मस्तिष्क में जमने वाले खून के थक्कों के इलाज में अत्याधुनिक स्टेंट का प्रभाव और सुरक्षा आंकने के लिए ‘ग्रासरूट’ (ग्रेविटी स्टेंट-रिट्रीवर सिस्टम फॉर रिपरफ्यूजन ऑफ लार्ज वेसल ऑक्लूजन स्ट्रोक ट्रायल) क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया है।
खून के ये थक्के मस्तिष्क में खून और ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित करते हैं, जिससे व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है।
एम्स में इस परीक्षण में शामिल होने के लिए मरीजों का पंजीकरण 15 अगस्त को शुरू हुआ था। 25 अगस्त को अत्याधुनिक मस्तिष्क स्टेंट की मदद से खून के थक्के जमने की समस्या से जूझ रहे पहले मरीज का सफल इलाज किया गया।
एम्स दिल्ली के तंत्रिका विज्ञान केंद्र में न्यूरोइमेजिंग और इंटरवेंशियल न्यूरोरेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. शैलेष गायकवाड़ ने बताया कि मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
भारत में ‘ग्रासरूट’ परीक्षण भारतीय और एशियाई स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्यों के हिसाब से तैयार किए गए अगली पीढ़ी के मस्तिष्क स्टेंट का प्रभाव आंकने वाला वाला पहला अध्ययन है।
डॉ. गायकवाड़ ने बताया कि यह अत्याधुनिक स्टेंट भारतीय और अंतरराष्ट्रीय चिकित्सकों व इंजीनियरों के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है और इसका विशिष्ट लक्ष्य मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की तीव्र, सुरक्षित एवं पूर्ण बहाली सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक मस्तिष्क स्टेंट की लागत लचीली होगी और यह भारत तथा दुनिया में मरीजों के लिए जीवनरक्षक उपचारों तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार करेगा।