दिल्ली के हालात और बदलाव का कारण
अभी हाल ही में आपने देखा होगा, न्यूज़ चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह दिल्ली की भयानक तस्वीरें सामने आ रही थीं। बताया जा रहा था कि अत्यधिक बारिश के कारण दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। परन्तु प्रश्न यह उठता है कि अचानक ऐसा क्या बदल गया? क्योंकि यह एक महीने का अंतर नहीं है, बस दो दिन पहले ही दिल्ली में भीषण गर्मी थी और जल संकट की स्थिति थी। अचानक 24 घंटे के भीतर ऐसा क्या हो गया कि बाढ़ आ गई?
तापमान का अचानक बढ़ना और फिर बारिश का प्रकोप
दिल्ली में कुछ दिन पहले रिकॉर्ड तापमान देखने को मिला था। मंगेशपुरी में तो 52.3 डिग्री सेल्सियस तक तापमान मापा गया था, जो कि देशभर का रिकॉर्ड था। इसके चलते लोग अत्यधिक परेशान थे, और जल संकट भी गहरा गया था। कई इलाकों में पानी की सप्लाई एक समय कर दी गई थी, क्योंकि बहुत सारे इलाके में पानी की कमी हो गई थी।
24 घंटों में अचानक बाढ़ की स्थिति
अचानक 24 घंटे के भीतर स्थिति यह हो गई कि कई इलाकों में बाढ़ आ गई। बताया जा रहा है कि 24 घंटे के भीतर 228.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो बहुत अधिक है। दिल्ली में सामान्य रूप से जून में जितनी बारिश होती है, उससे कहीं अधिक बारिश अचानक हो गई, जिसके कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन इसका एक प्रमुख कारण है। जब वातावरण में गर्मी बढ़ती है, तो उसमें जल वाष्प की क्षमता बढ़ जाती है, और जब बारिश होती है, तो यह अचानक बहुत अधिक होती है। पिछले कुछ समय से दिल्ली में अत्यधिक गर्मी पड़ रही थी, जिससे वातावरण में जल वाष्प की मात्रा बढ़ गई थी। जब बारिश हुई, तो यह अत्यधिक मात्रा में हुई, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी
दिल्ली में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी भी इसका एक प्रमुख कारण है। हर साल बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन इसके बावजूद स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास स्थित मिंटो रोड हर साल जलमग्न हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर असर
बारिश के कारण दिल्ली एयरपोर्ट का टर्मिनल वन का छत गिर गया। इस कारण से टर्मिनल वन को अनिश्चित काल तक बंद करना पड़ा है। टर्मिनल वन से 100 से अधिक उड़ाने रद्द कर दी गई हैं, और उनकी उड़ानों को टर्मिनल टू और थ्री से रि-शेड्यूल किया गया है। इसकी जांच के लिए एक तकनीकी समिति बनाई गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह छत क्यों गिरी।
समाधान और भविष्य की तैयारियां
अगर हमें भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचना है, तो हमें अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना होगा। इसके लिए तालाब, झील आदि का निर्माण आवश्यक है, जिससे कि अचानक अधिक बारिश होने पर जल इकट्ठा हो सके और गर्मी में इसका उपयोग किया जा सके। इससे दोनों ही मौसमों में हमें राहत मिलेगी।
निष्कर्ष
दिल्ली की हालिया बाढ़ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें अपने शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को जलवायु परिवर्तन के अनुसार ढालने की आवश्यकता है। इसके लिए नीतियों और योजनाओं में सुधार की आवश्यकता है ताकि हम आने वाले अनप्रेसिडेंटेड वेदर पैटर्न्स का सामना कर सकें।
इस रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि हमें अपने शहरों को क्लाइमेट एक्सट्रीम से बचाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना होगा। तभी हम भविष्य में ऐसी समस्याओं से निपटने में सक्षम हो पाएंगे।
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