कुत्ते बनाम नेता: एक तरफ़ रेबीज़, दूसरी ओर देशभक्ति पर हमला

भारत में इन दिनों दो “कुत्तों” की चर्चा जोरों पर है—एक असली कुत्ते जो गलियों में भटकते हैं और लोगों को काटते हैं, और दूसरे “राजनीतिक कुत्ते” जो चुनावी मंचों से देशभक्ति और लोकतंत्र पर सवाल उठाते हैं। दोनों मुद्दे गंभीर हैं और सीधे जनता से जुड़े हुए हैं।


🏛️ राहुल गांधी और वोट चोरी का विवाद

हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटका विधानसभा चुनाव में “वोट चोरी” के आरोप लगाए। उनका कहना है कि बीजेपी ने डुप्लीकेट वोटर्स की मदद से जीत हासिल की।

हालाँकि, विशेषज्ञों और फैक्ट-चेक रिपोर्टों से सामने आया कि—

  • Representation of People Act, 1951 की धारा 80 के तहत यदि किसी को चुनाव में गड़बड़ी का संदेह है तो शिकायत चुनाव आयोग में दर्ज करानी चाहिए।
  • राहुल गांधी ने कोई विधिक शिकायत (Legal Complaint) दर्ज नहीं कराई।
  • चुनाव आयोग ने उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस और एफिडेविट दाख़िल करने का अवसर दिया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

और भी चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस के अपने ही विधायकों ने इस दावे को झूठा करार दिया। कांग्रेस विधायक राजन्ना ने साफ़ कहा कि आरोप निराधार हैं। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।

फैक्ट-चेक में खुलासा:

  • जिन सीटों पर राहुल गांधी ने धांधली का आरोप लगाया, वहां बीजेपी जीती थी।
  • जबकि डुप्लीकेट वोटर्स का मामला उन इलाकों में पाया गया, जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
  • उदाहरण के तौर पर मालेगांव सेंट्रल सीट पर कांग्रेस को 94% वोट मिले जबकि बीजेपी को मुश्किल से 2% वोट। चुनाव आयोग के अनुसार यहां भारी संख्या में “डुप्लीकेट नाम” दर्ज थे।

विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी का यह रुख़ केवल “राजनीतिक नैरेटिव” बनाने की कोशिश है, न कि कोई ठोस कानूनी चुनौती।


🐕 सुप्रीम कोर्ट का आदेश और कुत्तों का संकट

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखा जाए और उनका टीकाकरण किया जाए।

  • आदेश के बाद पेट लवर्स सड़कों पर उतर आए और कैंडल मार्च निकालकर विरोध जताया।
  • उनका कहना है कि “बेजुबान जानवरों” को इस तरह से जबरन उठाकर ले जाना अव्यवहारिक और अमानवीय है।
  • वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि केवल दिल्ली में हर महीने हज़ारों लोग कुत्तों के काटने से घायल होते हैं और सैकड़ों की मौत रेबीज़ के कारण हो जाती है।

हालाँकि व्यावहारिक दृष्टि से लाखों कुत्तों को एक साथ शेल्टर में रखना संभव नहीं है। विशेषज्ञ इसके बजाय वैक्सीनेशन, नसबंदी (Sterilization) और जागरूकता अभियान को ही स्थायी समाधान मानते हैं।


⚖️ तुलना और निष्कर्ष

  • जब कुत्ता काटता है तो रेबीज़ जैसी बीमारी होती है, जिसका इलाज टीके से संभव है।
  • लेकिन जब “नेता काटता है” और देशभक्ति पर चोट करता है, तो यह बीमारी किसी टीके से ठीक नहीं होती।

भारत में आज दोनों ही समस्याएँ—सड़क पर बढ़ते कुत्ते और मंच पर बढ़ते “झूठे आरोप”—जनता की सुरक्षा और लोकतंत्र की सेहत, दोनों के लिए चुनौती हैं।