दशहरा 2025: विजयादशमी पर भूल से भी न करें ये गलतियां

दशहरा यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। इस दिन लोग रावण दहन करते हैं, देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और नए कामों की शुरुआत को शुभ मानते हैं। परंपराओं में यह भी कहा गया है कि इस दिन कुछ सावधानियां और परहेज़ ज़रूरी हैं, वरना पुण्य के बजाय दोष भी लग सकता है।

विजयादशमी के दिन शस्त्रों और औज़ारों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यह दिन शक्ति का प्रतीक है। लेकिन पूजा के बाद शस्त्रों का इस्तेमाल गुस्से या दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए। इन्हें केवल रक्षा और सदुपयोग का प्रतीक मानकर ही आदर दें।

शास्त्रों में कहा गया है कि दशहरे के दिन पेड़-पौधे काटना अशुभ होता है। यह प्रकृति का अनादर माना जाता है। इस दिन हरियाली को बचाना और उसका सम्मान करना शुभ माना जाता है।

विजयादशमी को सौम्यता और विजय का पर्व माना गया है। इस दिन किसी से झगड़ा करना, अपशब्द कहना या गुस्से में रहना अशुभ फल देने वाला माना जाता है। कोशिश करें कि वाणी और आचरण दोनों में शांति बनी रहे।

परंपरा है कि दशहरे के दिन नया व्यापार, निवेश या कोई शुभ कार्य शुरू करना मंगलकारी होता है। लेकिन भूल से भी इस दिन आलस्य या टालमटोल न करें। जो काम ठान लिया है, उसे पूरे उत्साह और सकारात्मक सोच के साथ आरंभ करें।

यह दिन पितरों का स्मरण कर उनका आशीर्वाद लेने का भी होता है। बुजुर्गों का अनादर करना या उनकी उपेक्षा करना इस शुभ दिन पर अनुचित माना गया है।


दशहरा केवल रावण दहन का पर्व नहीं, बल्कि आत्मदमन और मर्यादा का दिन भी है। इस दिन गलतियों से बचना और सही आचरण करना ही सच्ची विजय का मार्ग है।