कोर्ट ने अपना दिशानिर्देश दिया है कि अगर ईडी किसी आरोपी को हिरासत में लेना चाहती है, तो उसे पहले संबंधित कोर्ट में आवेदन देना होगा और आवेदन के प्रस्तुत होने के बाद ही कोर्ट, आरोपी की हिरासत करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है कि ईडी को पीएमएलए कानून के अनुसार, विशेष अदालत ने यदि शिकायत पर स्वतः संज्ञान ले लिया है तो फिर वहां पर आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी ने किसी समन के अनुपालन के लिए विशेष अदालत में पेश किया है, तो इससे यह नहीं सिद्ध होता कि वह हिरासत में है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिस आरोपी ने समन के बाद अदालत में पेशा लिया है, उसे जमानत के लिए अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है और उस पर पीएमएलए कानून की धारा 45 की जुड़वा शर्त भी लागू नहीं होती है। जुड़वा शर्तों के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अगर कोई आरोपी जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन करता है, तो अदालत पहले सरकारी वकील को सुनेगी और जब वह संतुष्ट हो जाएगी कि आरोपी दोषी नहीं है और वह रिहा होने के बाद फिर से वैसा ही अपराध नहीं करेगा, तभी कोर्ट आरोपी को जमानत दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल पर यह फैसला सुनाया कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए कड़ी जुड़वा शर्तों को पूरा करना जरूरी है अगर उस मामले में विशेष अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया हो।