नई दिल्ली:- हाल ही में चीन के साथ गश्त समझौते के बावजूद, भारत-चीन संबंधों में विश्वास बहाल होने में समय लगेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को पुणे में छात्रों के साथ बातचीत में कहा कि विश्वास बहाली और दोनों देशों के साथ काम करने की तत्परता विकसित होने में समय लगेगा।सीमा पर स्थिति और गश्त समझौताश्री जयशंकर ने बताया कि सैन्य ताकत ने भारत को सीमा पर अपने रुख पर अडिग रहने में सक्षम बनाया और कूटनीति ने भी अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से सेना की प्रभावी तैनाती में मदद मिली, जिससे यह सफलता संभव हो पाई। पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त और अलगाव समझौते पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “2020 से सीमा पर स्थिति बहुत अस्थिर है और इसका प्रभाव संबंधों पर पड़ा है। सितंबर 2020 से हम समाधान के लिए बातचीत कर रहे हैं।”
भविष्य की दिशा में कूटनीति और सेना का योगदान
श्री जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए सबसे पहले अलगाव जरूरी है, क्योंकि सैनिकों की निकटता से किसी घटना की संभावना बनी रहती है। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को देपसांग और डेमचोक में गश्त की पुनः शुरुआत को लेकर समझौता हुआ, जो भारत-चीन नेताओं के बीच आगे की बातचीत का मार्ग खोल सकता है।
भारत-चीन संबंधों का भविष्य
श्री जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों के भविष्य पर कहा, “चार साल की अस्थिरता के बाद विश्वास बहाल करने में समय लगेगा। आज हम जहां हैं, वहां तक पहुंचने में सेना और कूटनीति दोनों का योगदान रहा है।”उन्होंने बताया कि सीमा पर बुनियादी ढांचे में सुधार से सेना को मजबूती मिली है, और इस दिशा में प्रयास जारी रहेंगे।