भारत की अखंडता और संप्रभुता को लेकर एक बार फिर बाहरी ताकतों की बयानबाज़ी सामने आई है। हाल ही में एक तथाकथित “NATO Chief” आकांक्षी ने भारत के विभाजन जैसी बात उठाई, जिस पर देशभर में कड़ा विरोध जताया जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर कोई विदेशी नेता भारत की सीमाओं और नक्शे पर टिप्पणी करने की हिम्मत क्यों कर रहा है।
भारत कोई भू-राजनीतिक प्रयोगशाला नहीं है। यहाँ की जनता ने हजारों वर्षों से एकता के सूत्र में बंधकर दुनिया को यह दिखाया है कि विविधता में भी सामंजस्य संभव है। पाँच हजार साल से अधिक की सभ्यता का यह देश बार-बार विदेशी आक्रमण झेलने के बावजूद न तो टूटा और न ही बिखरा।
आज भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसकी मजबूती इसकी जनता है। किसी विदेशी ताकत या ‘भाड़े के रणनीतिकार’ की बातों से इस देश की सीमाएँ नहीं बदल सकतीं। भारत का नक्शा न तो बाहर से बनेगा, न ही बाहर से बिगड़ेगा।
यह साफ है कि ऐसे बयान सिर्फ गंदी राजनीति और अस्थिरता फैलाने की कोशिश हैं। लेकिन भारत के लिए यह कोई नई बात नहीं है। हम पहले भी इन चुनौतियों से गुज़रे हैं और आगे भी अपनी एकता से उनका जवाब देंगे।
भारत का संदेश स्पष्ट है: कोई भी बाहरी शक्ति हमारी संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकती। यह भूमि, यह संस्कृति और यह लोकतंत्र हमारी ताकत हैं, और इनकी रक्षा करना हर भारतीय का कर्तव्य है।