“लड़ाई वहां, लुटाई यहां – ईरान-इज़राइल की जंग का तेल भारतियों की जेब से निकलेगा!”

तेहरान-तेल अवीव में मिसाइलें, और दिल्ली में जेब हल्की!

ईरान-इज़राइल में जंग छिड़ी है, लेकिन कांप रही है आपकी जेब। युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन आपके वॉलेट में शांति पहले ही भंग हो चुकी है।

ऑपरेशन राइजिंग लायन में इज़राइल ने ईरान के परमाणु सपनों पर मिसाइलें दागीं और अब ईंधन के दाम भारत में झुलस रहे हैं। पेट्रोल ऐसा बढ़ा है जैसे वो खुद जंग लड़ने जा रहा हो।

ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर से उछलकर 120 डॉलर की ओर बढ़ रहा है — और भारत की जनता पूछ रही है: “हमने क्या बिगाड़ा था?”

होर्मूज की खाड़ी बंद हो गई तो?

सीधा मतलब: तेल नहीं आएगा, गाड़ियाँ सिर्फ म्यूज़ियम में चलेंगी, और किचन में गैस नहीं, आंसू जलेंगे।

और क्या महंगा होगा?

मोबाइल, मेवा, मशीनरी, मसाले और महंगी मेहरारू की माँग की हर चीज़!कहने का मतलब – अब शादी में दूल्हे से पहले उर्वरक और गैजेट की लिस्ट चेक करनी होगी।

सरकार का प्लान?

जैसे-जैसे तेल महंगा होगा, नेता साइकिल चलाते फोटो खिंचवाएंगे और कहेंगे – “हम आत्मनिर्भर हो रहे हैं।”तो अगली बार जब आप पेट्रोल पंप जाएँ और मीटर तेजी से भागे, तो याद रखिए – बम भले तेहरान में गिरा हो, बजट आपका फटा है।