क्यों विदेशी निवेशक भारत से बाहर निकल रहे हैं ?

अक्टूबर 2024 भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए चुनौतीपूर्ण महीना रहा है। लम्बे समय बाद घरेलू मार्केट में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली, जिसका प्रमुख कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign Institutional Investors – FII) की भारी बिकवाली रही।

FIIs के भारतीय बाजार से पैसे निकालने के कई कारण हैं, जिसमें प्रमुख हैं—लाभ की प्राप्ति, वैल्यूएशन में वृद्धि, और कुछ अन्य आकर्षक विदेशी बाजारों की ओर उनका रुझान। यह पैसा भारत से निकलकर चीन, जापान, साउथ कोरिया, और इंडोनेशिया जैसे देशों में जा रहा है, जो हाल के समय में निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं।

क्यों गिरा भारतीय बाजार?

  1. फॉरेन इन्वेस्टर्स की बिकवाली: अक्टूबर 2024 में लगभग 9 बिलियन डॉलर की बिकवाली देखने को मिली। जबकि इसी अवधि में जापान, साउथ कोरिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में 18 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकलकर अन्य एशियाई बाजारों में जा रहा है।
  2. वैल्यूएशन का अंतर: भारत का प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो (P/E Ratio) 24x है, जो इंडोनेशिया के 18x और साउथ कोरिया के 13x से कहीं ज्यादा है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि अन्य देशों में निवेश पर बेहतर रिटर्न की संभावनाएं हैं।
  3. भारतीय अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन के संकेत: सितंबर 2024 में जीएसटी कलेक्शन चार महीने के निचले स्तर पर था, जबकि परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) भी 8 महीने के न्यूनतम स्तर पर रहा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ धीमेपन के संकेत मिलते हैं, जो निवेशकों को अन्य उभरते हुए बाजारों की ओर ले जा सकते हैं।
  4. कॉरपोरेट परफॉर्मेंस: गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में यह बताया गया कि MSCI इंडेक्स में शामिल 18 भारतीय कंपनियों में से 11 का मुनाफा अनुमान से कम रहा, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है।

डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स की भूमिका

जहां विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में बड़ी मात्रा में बिकवाली की, वहीं घरेलू निवेशकों ने लगभग 8 बिलियन डॉलर का निवेश कर इस गिरावट को संभाला। यह दर्शाता है कि भारतीय निवेशक अब अधिक जागरूक और मजबूत हो गए हैं, जिससे बाजार में विदेशी बिकवाली के प्रभाव को संतुलित करने में मदद मिलती है।

क्या यह प्रवृत्ति दीर्घकालिक है?

  1. लॉन्ग टर्म पोटेंशियल: चीन की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक विकास की संभावना अधिक है। जहां चीन का अनुमानित GDP ग्रोथ लगभग 4% है, वहीं भारत का GDP ग्रोथ 6.5%-7% है। इसके अलावा, MSCI इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत की कंपनियों का वेटेज 2021 के 9% से बढ़कर अब 20% हो गया है।
  2. विविधता और स्थिरता: भारत का आर्थिक फंडामेंटल अभी भी मजबूत है, जो दीर्घकालिक निवेशकों के लिए आकर्षक बना हुआ है। हालांकि, विदेशी निवेशकों का पैसा फिलहाल अधिक लाभकारी बाजारों की ओर जा रहा है, लेकिन भारत की बढ़ती इकोनॉमिक स्थिरता और रिटेल इन्वेस्टर्स की सक्रियता इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए मजबूत विकल्प बनाते हैं।

निष्कर्ष

अक्टूबर 2024 का महीना भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारत की वृद्धि की कहानी अभी भी मजबूत है। आगामी समय में कई ग्लोबल फैक्टर्स जैसे कि अमेरिकी चुनाव, मिडिल ईस्ट में विकास, और केंद्रीय बैंक की नीतियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

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