विदेश सचिव स्तरीय बैठक: भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर जताई चिंता

ढाका. भारत ने सोमवार को विदेश सचिव स्तर की बैठक में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताते हुए ‘सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की खेदजनक घटनाओं’ का मुद्दा उठाया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष मोहम्मद जशीमुद्दीन के साथ यह बैठक की.

अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के अपदस्थ होने के बाद भारत की ओर से यह पहला उच्च-स्तरीय दौरा है. मिसरी ने अवगत कराया कि नयी दिल्ली की इच्छा ढाका के साथ ह्लसकारात्मक, रचनात्मक और पारस्परिक रूप से लाभप्रदह्व संबंध बनाने की है.

मिसरी ने विदेश सचिव मोहम्मद जशीमुद्दीन से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ”आज की चर्चाओं ने हम दोनों को अपने संबंधों का आकलन करने का मौका दिया है. मैं अपने सभी वार्ताकारों के साथ स्पष्ट, सरल और रचनात्मक विचारों के आदान-प्रदान के आज के अवसर की सराहना करता हूं.” उन्होंने कहा, ”मैंने इस बात पर जोर दिया कि भारत बांग्लादेश के साथ सकारात्मक, रचनात्मक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध चाहता है.” मिसरी ने कहा कि उन्होंने ‘कुछ हालिया घटनाक्रमों और मुद्दों’ पर चर्चा की.

मिसरी ने संवाददाताओं से कहा, ”मैंने अपनी चिंताओं से अवगत कराया, जिनमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताएं भी शामिल थीं. हमने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ खेदजनक घटनाओं पर भी चर्चा की.” उन्होंने कहा कि भारत को बांग्लादेश के अधिकारियों से इन सभी मुद्दों पर समग्र रचनात्मक दृष्टिकोण की उम्मीद है और वह रिश्ते को सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है.

मिसरी ने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम करने की भारत की इच्छा को रेखांकित किया. उन्होंने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से भी मुलाकात की. नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इन बैठकों के दौरान मिसरी ने लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला.

इसमें कहा गया, ”उन्होंने बांग्लादेश के साथ आपसी विश्वास और सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर सकारात्मक और रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा दोहराई.” उन्होंने कहा कि दिल्ली को बांग्लादेश में अगस्त में हुए राजनीतिक बदलाव के चलते संबंधों में व्यवधान का कोई कारण नहीं मिला.

उन्होंने कहा, ”इस साल अगस्त में बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव के बाद से निश्चित रूप से हमारे नेतृत्व के बीच संपर्क कायम हैं. प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) विश्व के पहले नेता थे, जिन्होंने मुख्य सलाहकार को उनके पद संभालने पर बधाई दी. उनके बीच टेलीफोन पर बहुत सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई थी.” विदेश मंत्रालय ने कहा, ”दोनों पक्षों ने राजनीतिक और सुरक्षा मामलों, सीमा प्रबंधन, व्यापार, वाणिज्य और कनेक्टिविटी, जल, बिजली और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग, विकास सहयोग, राजनयिक, सांस्कृतिक और दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध को शामिल करते हुए कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा की. उन्होंने उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया और बिम्सटेक ढांचे के तहत क्षेत्रीय एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए परामर्श और सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

इसमें कहा गया है, ”विदेश सचिव की यात्रा से भारत और बांग्लादेश के बीच चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ रिश्ते में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद मिलेगी.” अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. हसीना के भारत में शरण लेने के कुछ दिनों बाद ही यूनुस ने अंतरिम सरकार की बागडोर संभाल ली थी. पड़ोसी देश में हुए घटनाक्रम के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव आ गया.

हालिया हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद दोनों देशों के संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए. त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश उप उच्चायोग में प्रदर्शनकारियों के जबरन घुसने के मामले पर भी दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ा. पिछले कुछ हफ्तों में पड़ोसी देश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के साथ-साथ मंदिरों पर हमलों की घटनाएं हुई हैं, जिसे लेकर नयी दिल्ली द्वारा गहरी चिंता जताई गई है.

Share This:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *