महाकाल परिसर से अटारी बॉर्डर तक: साधु बनकर आया आतंकी पकड़ा गया

उज्जैन से दिल्ली तक फैला खतरनाक खेल: मंदिर के बाहर साधु बन बैठा आतंकी, प्रसाद में जहर मिलाने की साजिश नाकाम

उज्जैन के ओंकारेश्वर मंदिर के बाहर करीब छह महीने तक साधु के वेश में बैठा एक शख्स भिक्षा मांगता रहा। कोई रोटी दे जाता, कोई पैसे। मंदिर के प्रसाद से भी वह गुजारा करता रहा। देखने में वह आम साधु जैसा ही लगता था, लेकिन हकीकत कहीं ज्यादा डरावनी निकली।

उसका असली नाम था तनवीर अहमद, जो बांग्लादेश से अवैध तरीके से भारत आया था। वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि अंसारुल बांग्ला टीम से जुड़ा हुआ था, जिसका सीधा संबंध अलकायदा से है। यही आतंकी संगठन भारत की सीमाओं पर कैंप चलाकर युवाओं को ट्रेन और रेडिकलाइज करते हैं।

दुकानदार की दुकान से मंदिर परिसर तक पहुँच

तनवीर ने महीनों मंदिर के बाहर बैठकर दुकानदारों और श्रद्धालुओं से जान-पहचान बनाई। धीरे-धीरे एक दुकानदार ने उसे काम पर रख लिया। पूजा सामग्री बेचना, श्रद्धालुओं की मदद करना—इन सबके बहाने तनवीर को मंदिर परिसर की पूरी जानकारी मिलती रही।

इसी दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की ड्रोन सर्विलांस में मंदिर परिसर से हर रात एक असामान्य रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल पकड़ा गया। जांच में पता चला कि ये कॉल भारत से नहीं, बल्कि बांग्लादेश के जरिए लाहौर तक जा रहा था। संदेह गहराया और IB ने निगरानी तेज कर दी।

महिला अधिकारी बनी ‘साध्वी’

IB ने एक महिला अधिकारी को साध्वी का रूप देकर मंदिर भेजा। उसने रोज उसी दुकान से सामग्री खरीदी और तनवीर की हरकतों पर नजर रखी। पैटर्न साफ था—तनवीर अक्सर प्रसाद वितरण क्षेत्र के पास घूमता और रात में उसी कमरे से रेडियो सिग्नल पकड़े जाते।

उज्जैन से अटारी तक पीछा

कुछ महीनों बाद तनवीर ने दुकानदार को झूठ बताया कि उसकी मां बीमार है और इलाज के लिए अमृतसर जाना है। वहां से वह अटारी बॉर्डर के पास एक गांव में छिप गया। महिला अधिकारी उसका साया बनकर हर कदम पर साथ रही।

गांव में रहकर तनवीर ने पाकिस्तान से आए ड्रोन से गिरी छोटी-छोटी पुड़िया उठाईं और उन्हें अपनी रुद्राक्ष माला में छुपा लिया। जांच में बाद में पता चला कि इन पुड़ियों में रिसिन नामक खतरनाक जहर था। सिर्फ 1 ग्राम रिसिन 100-200 लोगों की जान ले सकता है।

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गिरफ़्तारी

अमृतसर से लौटकर तनवीर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उज्जैन जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा था। तभी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने संयुक्त ऑपरेशन में उसे पकड़ लिया। जब माला खोली गई, तो उसमें से रिसिन निकला। पूछताछ में तनवीर ने कबूल किया कि उसकी योजना महाकालेश्वर मंदिर के प्रसाद में जहर मिलाने की थी।

बड़ा मकसद: दहशत और प्रोपेगेंडा

तनवीर का मिशन केवल हत्या करना नहीं था। योजना यह थी कि मंदिर के प्रसाद से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत हो और फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत और हिंदू धर्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया जा सके। अलकायदा, अंसारुल बांग्ला टीम और आईएसआई की यही संयुक्त रणनीति थी।

एजेंसियों की चुपचाप जंग

यह मामला दिखाता है कि किस तरह आतंकी संगठन भारत में अंदर तक घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं। लेकिन दूसरी ओर, इंटेलिजेंस एजेंसियां दिन-रात खामोशी से काम करती हैं। बिना शोर-शराबे और बिना पहचान की चाहत के। ताकि देश के नागरिक सुरक्षित रह सकें।