“जेल से सरकार नहीं चलेगी: लोकसभा में अमित शाह ने पेश किए तीन अहम विधेयक”

आज लोकसभा में संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किए गए। इन विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) अभ्यास पर विपक्ष के विरोध के बीच सदन में प्रस्तुत किया। बाद में इन विधेयकों को आगे की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य राजनीति में गिरते नैतिक मूल्यों को सुधारना और ईमानदारी बनाए रखना है। इन तीनों विधेयकों के तहत यह व्यवस्था लागू होगी कि कोई भी व्यक्ति जो गिरफ्तार होकर जेल में है, वह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र/राज्य सरकार में मंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकेगा।

अमित शाह ने कहा कि संविधान निर्माण के समय इसके निर्माताओं ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे राजनीतिक नेता होंगे, जो जेल में रहते हुए भी नैतिक आधार पर इस्तीफा देने से इनकार करेंगे। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में देश ने कई चौंकाने वाले उदाहरण देखे हैं, जब मुख्यमंत्री या मंत्री जेल से ही सरकार चलाते रहे।

गृह मंत्री ने बताया कि इन विधेयकों में यह भी प्रावधान है कि गिरफ्तार किए गए किसी भी राजनेता को 30 दिनों के भीतर जमानत लेनी होगी। यदि 30 दिनों में जमानत नहीं मिलती है तो 31वें दिन प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को उसे पद से हटाना होगा, अन्यथा कानून के अनुसार वह स्वतः अयोग्य हो जाएगा। हाँ, यदि बाद में विधिक प्रक्रिया से जमानत मिलती है, तो ऐसे नेता पुनः अपने पद पर बहाल किए जा सकते हैं।

अमित शाह ने जनता से सवाल करते हुए कहा, “क्या यह उचित है कि कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जेल से सरकार चलाए?”

इससे पहले कांग्रेस, एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी दलों ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए इन्हें असंवैधानिक और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया।