भारत-पाकिस्तान मैच बहिष्कार पर बढ़ती आवाज़

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैचों को लेकर बहस तेज हो गई है। कई लोग मानते हैं कि सरकार को सख्त संदेश देने का सबसे असरदार तरीका यही है कि दर्शक मैच का बहिष्कार करें। मैदान में न जाकर और टीवी या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर न देखकर भी यह संदेश दिया जा सकता है कि जनता इस खेल को सिर्फ खेल की तरह नहीं देख रही।

बहिष्कार का तर्क

समर्थकों का कहना है कि जब सीमा पार से लगातार आतंकवाद की घटनाएं हो रही हैं, तब मैदान पर दोस्ती का दिखावा उचित नहीं है। उनका मानना है कि दर्शकों की गैरमौजूदगी और घटती टीआरपी से आयोजकों और स्पॉन्सर्स को सीधा झटका लगेगा, जिससे सरकार पर भी दबाव बढ़ेगा।

विरोध करने वालों की राय

दूसरी ओर, कई लोग मानते हैं कि क्रिकेट को राजनीति से जोड़ना हल नहीं है। खेल को अब तक दोनों देशों के बीच संवाद और सद्भाव का पुल माना गया है। बहिष्कार से बातचीत के रास्ते और सिमट सकते हैं और दोनों देशों के खिलाड़ियों के बीच की खेल भावना को नुकसान पहुंच सकता है।

नतीजा अभी बाकी

सोशल मीडिया पर बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है। लोग अपनी राय खुलकर रख रहे हैं और चर्चा कर रहे हैं कि जनता की चुप्पी और उपस्थिति दोनों ही मजबूत संदेश देने की ताकत रखते हैं।