April 2025 में जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड ऊंचाई पर

मुख्य आंकड़ा:

  • ₹2.37 लाख करोड़ – अब तक का सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन अप्रैल 2025 में दर्ज किया गया।
  • यह पिछले साल अप्रैल 2024 के मुकाबले 12.6% की वृद्धि है, जब कलेक्शन ₹2.1 लाख करोड़ था।

🔍 ये कलेक्शन किस महीने की सेल का है?

  • ये आंकड़ा असल में मार्च 2025 की बिक्री को दर्शाता है।
  • क्योंकि जीएसटी कलेक्शन आमतौर पर पिछले महीने की गतिविधियों पर आधारित होता है।
  • मार्च फाइनेंशियल ईयर का आखिरी महीना होता है – यानी व्यवसायों द्वारा रिकंसीलेशन और सेटलमेंट ज्यादा होते हैं।

🧩 कलेक्शन ब्रेकडाउन (वृद्धि की दर के साथ):

  • CGST (Central GST) – 15% की वृद्धि
  • SGST (State GST) – 11.5% की वृद्धि
  • IGST (Integrated GST) – 14.7% की वृद्धि (इसमें इंपोर्ट का हिस्सा भी शामिल)
  • Cess (सिन और लग्जरी गुड्स पर टैक्स) – बढ़ोतरी दर्ज

🔁 Net Collection (Refund के बाद):

  • अप्रैल 2024: ₹1.92 लाख करोड़
  • अप्रैल 2025: ₹2.09 लाख करोड़
  • वृद्धि: लगभग 9%

📈 इस रिकॉर्ड कलेक्शन के पीछे के मुख्य कारण:

  1. फाइनेंशियल ईयर एंड:
    मार्च में होता है रिटर्न सेटलमेंट, जिसकी वजह से अप्रैल में हाई कलेक्शन।
  2. बढ़ा हुआ कम्प्लायंस:
    • ई-इनवॉइसिंग और एआई बेस्ड निगरानी
    • फेक इनवॉइस और ITC फ्रॉड पर सख्ती
  3. इंपोर्ट में 20% की वृद्धि:
    • कैपिटल गुड्स और रॉ मटेरियल्स की मांग बढ़ी
    • इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में पॉजिटिव संकेत
  4. इकोनॉमिक रिकवरी:
    • प्राइवेट कंजम्प्शन, ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन में सुधार
    • इनफ्लेशन भी नियंत्रित हुआ (~4%)

💡 इसका क्या मतलब है भारत के लिए?

  • सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी:
    केंद्र और राज्य दोनों की फाइनेंशियल स्थिति मज़बूत होगी।
  • फिस्कल डेफिसिट में सुधार:
    सरकार के खर्च और उधारी में संतुलन आ सकता है।
  • वेलफेयर स्कीम्स को बूस्ट:
    अधिक टैक्स कलेक्शन से पब्लिक स्कीम्स के लिए पैसा उपलब्ध।
  • रिफॉर्म्स का असर दिखा:
    सरकार के ई-वे बिल, ई-इनवॉइस जैसे कदम सफल साबित हो रहे हैं।
  • इन्वेस्टर कॉन्फिडेंस:
    इंटरनेशनल मार्केट में भारत की इमेज सुधरेगी, FDI और क्रेडिट रेटिंग बेहतर हो सकती है।

⚠️ अब भी हैं कुछ चुनौतियां:

  1. Inverted Duty Structure:
    रॉ मटेरियल पर ज्यादा टैक्स, फाइनल गुड्स पर कम टैक्स।
    ➤ इससे रिफंड बढ़ता है, और मैन्युफैक्चरर्स पर बोझ।
  2. स्लैब्स की जटिलता:
    0%, 5%, 12%, 18%, 28% + Cess –
    ➤ इसे दो-तीन दरों में मर्ज करने की ज़रूरत।
  3. छोटे व्यापारों के लिए कठिनाइयां:
    ➤ GSTR-1, 3B, ई-इनवॉइसिंग, ई-वे बिल – बहुत ज्यादा कागज़ी काम
    ➤ MSMEs को अधिक सहूलियत की जरूरत

🧭 आगे की राह – सरकार की रणनीति क्या होनी चाहिए?

  • GST बेस को और बढ़ाना:
    अधिक MSMEs को दायरे में लाना
  • फेक इनवॉइस पर कड़ा एक्शन:
    ITC फ्रॉड को पूरी तरह खत्म करना
  • कंप्लायंस प्रक्रिया को सरल बनाना:
    डिजिटल, ऑटोमैटिक, आसान प्लेटफॉर्म बनाना
  • टैक्स स्लैब्स को युक्तिसंगत बनाना:
    12% और 18% को मर्ज कर 15% करना – सिंगल टैक्स की दिशा में कदम

📌 निष्कर्ष:

अप्रैल 2025 में जीएसटी कलेक्शन ने नया रिकॉर्ड बनाया है, जो न केवल आर्थिक गतिविधियों की मजबूती दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार द्वारा किए गए रिफॉर्म्स और टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी अब असर दिखा रही है। अब जरूरत है इस गति को बनाए रखने और टैक्स सिस्टम को और आसान व न्यायसंगत बनाने की।