भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद हजारों सालों से जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों की ताकत को पहचानती आई है। कई ऐसे पौधे हैं जो हमारे घर या बगीचे में दिखते तो रोज़ हैं, लेकिन उनके औषधीय गुणों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
ऐसा ही एक पौधा है ‘हरसिंगार’।
इसे अंग्रेज़ी में Night Jasmine और वैज्ञानिक भाषा में Nyctanthes arbor-tristis कहा जाता है। इसके छोटे-छोटे सफेद फूल जिनके बीच हल्का नारंगी रंग होता है, बरसात के मौसम में ज़मीन पर बिखरे दिखाई देते हैं। देखने में सुंदर होने के साथ-साथ यह पौधा कई गंभीर बीमारियों के इलाज में भी बेहद उपयोगी है।
साइटिका के लिए कारगर
वैज्ञानिक शोध भी मानते हैं कि हरसिंगार साइटिका (Sciatica) जैसी गंभीर बीमारी में राहत दिलाने में मदद करता है।
साइटिका में कमर से लेकर एड़ी तक नसों में असहनीय दर्द होता है। कई बार चलना-फिरना तो दूर, खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हरसिंगार किसी वरदान से कम नहीं।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हरसिंगार के पत्तों में
- Iridoid Glycosides
- Flavonoids
- Alkaloids
जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो नसों की सूजन कम करने, दर्द नियंत्रित करने और रक्त संचार सुधारने में सहायक हैं।
हरसिंगार से औषधीय काढ़ा
आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, हरसिंगार के ताजे पत्तों को निर्गुण्डी के पत्तों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाया जाए तो यह साइटिका के दर्द में बेहद असरदार साबित होता है।
काढ़ा बनाने की विधि:
- हरसिंगार और निर्गुण्डी के 50-50 ताजे पत्ते लें।
- इन्हें 1 लीटर पानी में डालकर उबालें।
- पानी उबलकर जब लगभग 750 मि.ली. रह जाए तो इसे छान लें।
- इसमें 1 ग्राम केसर डालकर किसी साफ बोतल में भर लें।
- रोज़ाना सुबह और शाम लगभग 150 मि.ली. पिएं।
अतिरिक्त आयुर्वेदिक उपचार
साइटिका के दर्द में और भी जल्दी लाभ के लिए, आयुर्वेदिक चिकित्सक साथ में ये दवाएं लेने की सलाह देते हैं:
- योगराज गुग्गल
- वात विध्वंसक वटी
इनका सेवन सुबह और शाम किया जा सकता है।
✅ नियमित सेवन से दर्द, सूजन और नसों में खिंचाव की समस्या में तेज़ी से आराम मिलता है।
✅ यह उपचार पूरी तरह प्राकृतिक और आयुर्वेद पर आधारित है।