भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को कहा कि ब्याज की ऊंची दर वृद्धि को प्रभावित नहीं कर रही और आर्थिक गतिविधियां टिकाऊ बनी हुई हैं।
उन्होंने अपने दावे के समर्थन में पिछले 18 महीनों में मजबूत आर्थिक गतिविधियों का जिक्र किया। उसी समय लगभग आरबीआई ने नीतिगत दर के मोर्चे पर यथास्थिति बनाये रखने का विकल्प चुना था।
गवर्नर ने मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘फिलहाल, हमें उच्च ब्याज दर का वृद्धि पर असर पड़ने का कोई सबूत नहीं दिख रहा है।’’
उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि ‘बहुत मजबूत’ बनी हुई है और निवेश के इरादे साफ दिख रहे हैं। इसलिए, इस समय यह कहना सही नहीं होगा कि ब्याज दर वृद्धि को प्रभावित कर रही है।
देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत रही थी और चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था के 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही है। कुछ विशेषज्ञों ने वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
यह पूछे जाने पर कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने के अनुमान को बरकरार रखने का फैसला क्यों किया, दास ने कहा कि उपभोग और निवेश गतिविधियां सहित कई कारक इस आंकड़े की पुष्टि करते हैं।
उन्होंने कहा कि वृद्धि को गति देने वाले कारकों में निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि के संकेत, कंपनियों के मजबूत बही-खाते, कृषि उत्पादन में मदद करने वाली अच्छी बारिश, जलाशयों का स्तर और मिट्टी की नमी आदि शामिल है। इसके अलावा ग्रामीण और शहरी खपत मजबूत बनी हुई है और सेवा क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
दास ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यदि आप इन सभी चीजों को एक साथ रखते हैं, तो मुझे लगता है कि यह आंकड़ा 7.2 प्रतिशत बैठता है।’’
उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकारों की ऊंची सब्सिडी को ध्यान नहीं दिया जाए तो पहली तिमाही में वृद्धि दर सात प्रतिशत से ऊपर होती। राज्य सरकारों की ओर से अधिक सब्सिडी खर्च से कुल मिलाकर वृद्धि धीमी हुई है।
आरबीआई को उम्मीद है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि दर पहले के अनुमान की तुलना में बेहतर होगी।