भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने 18 सितंबर 2025 को अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए सभी गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया। यह वही आरोप थे जो 2023 में हिन्डनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद सामने आए थे। सेबी की अंतिम जांच रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 से 2023 तक हुई सभी संदिग्ध वित्तीय लेनदेन वैध थे, लिए गए कर्ज पूरी तरह चुकाए गए और इनमें किसी भी तरह की ‘रिलेटेड पार्टी’ गड़बड़ी नहीं पाई गई। इसलिए समूह, चेयरमैन गौतम अडानी और कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया।
गौतम अडानी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनके लिए “सत्य की जीत” है। उन्होंने इसे समूह के लिए बड़ी राहत बताया। फैसले के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई।
सोशल मीडिया पर इस निर्णय को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं। अडानी समर्थक इसे बड़ी जीत बता रहे हैं, जबकि कुछ लोग सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं और याद दिला रहे हैं कि अमेरिका में अडानी अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी के अलग मामले अब भी जांच में हैं।
यह फैसला न केवल अडानी समूह बल्कि भारतीय बाजार की छवि के लिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पिछले दो सालों में हिन्डनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी कंपनियों के शेयरों और निवेशकों के भरोसे पर गहरा असर पड़ा था।