नरक चतुर्दशी का महत्व

30 नवम्बर 2024 को नरक चतुर्दशी है। 16 हजार कन्याओं को नरकासुर ने अपने नियंत्रण में रखा था । श्रीकृष्ण ने इस दिन ही कन्याओं को मुक्त किया और नरकासुर को परलोक भेज दिया।

नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है। दीपावली और नरक चतुर्दशी की रात्रि मंत्र जापकों के लिए वरदानदायी हैं। सनत्कुमार संहिता’ एवं ‘धर्मसिंधु’ ग्रंथ के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश करके स्नान(टेक्स्ट- तैलाभ्यंग स्नान) करने से नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है ।

30 तारिख मंत्र जप और सिद्धि की रात है । सूर्य उदय से पूर्व स्नान दोनों दिन करें क्यूंकि इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करने वाले के शुभकर्मों का नाश होता है ।

नरक चतुर्दशी को सरसों के तेल का दीपक रात्रि में जलाकर बनाए गये काजल से आँखों को विशेष लाभ होता है । नजर से बचाने के लिए बच्चों और बड़ों को इस रात के बनाये हुए काजल का अंजन फायदा करता है।

इस दिन तिल और आंवले का चूर्ण मिला कर बनाया गया उबटन या सप्तधान्य उबटन अथवा तो देशी गाय के गोबर को शरीर पर रगड़ कर स्नान करें। इस रात्रि का जागरण और जप अध्यात्मिक उन्नति में बड़ी मदद करता है।

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