भारत की डेटा सेंटर इंडस्ट्री 2028 तक दोगुनी, ऑपरेटर्स का रेवेन्यू 20,000 करोड़ के पार

भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था डेटा सेंटर इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। क्रिसिल रेटिंग्स की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2028 तक देश के डेटा सेंटर ऑपरेटर्स का वार्षिक राजस्व 20,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। यह वृद्धि 20-22 प्रतिशत की मजबूत वार्षिक ग्रोथ को दर्शाती है, जो उद्यमों और रिटेल उपभोक्ताओं के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म और तकनीक अपनाने की बढ़ती रफ्तार से प्रेरित है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश की डेटा सेंटर क्षमता मार्च 2028 तक दोगुनी होकर 2.3 से 2.5 गीगावाट तक पहुंच सकती है। उद्योग के 75-80 प्रतिशत योगदानकर्ता प्रमुख ऑपरेटर्स पहले ही इस विस्तार के संकेत दे चुके हैं।

क्रिसिल ने कहा कि क्षमता बढ़ने के साथ इंडस्ट्री को बड़े पैमाने पर कैपेक्स निवेश करना होगा, जिसके लिए भारी मात्रा में डेट फंडिंग की जरूरत पड़ेगी। हालांकि, बढ़ते कैश फ्लो और स्थिर ऑपरेशंस लेवरेज को नियंत्रण में रखेंगे, जिससे क्रेडिट प्रोफाइल स्वस्थ बना रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि एंटरप्राइजेज द्वारा पब्लिक क्लाउड का बढ़ता उपयोग, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और नई तकनीकी प्रगति डेटा सेंटर इंडस्ट्री की ग्रोथ को मजबूत आधार दे रही है।

क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर आनंद कुलकर्णी ने कहा कि 20-22% की रेवेन्यू ग्रोथ आने वाले वर्षों में इंडस्ट्री क्षमता में होने वाले बड़े विस्तार से सीधे जुड़ी हुई है। वित्त वर्ष 2026 से 2028 के बीच 1.1 से 1.3 गीगावाट नई क्षमता शुरू होने का अनुमान है। बढ़ती मांग और भारत की 65 मेगावाट प्रति एक्साबाइट डेटा सेंटर डेंसिटी इस विस्तार को पर्याप्त समर्थन देती है।

एसोसिएट डायरेक्टर नितिन बंसल के अनुसार, इंडस्ट्री को वर्ष 2026-28 के दौरान 55,000 से 65,000 करोड़ रुपए के कैपेक्स निवेश की आवश्यकता होगी। हालांकि डेट फंडिंग बढ़ेगी, लेकिन EBITDA वृद्धि के कारण लेवरेज 4.6-4.7 गुना के बीच स्थिर बने रहने की उम्मीद है।

डिजिटल इंडिया के विस्तार, एआई-आधारित सेवाओं की बढ़ती मांग और क्लाउड के तेज उपयोग के कारण भारत वैश्विक डेटा सेंटर हब बनने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है।