“भारत बनाम टैरिफ वॉर: डॉनल्ड ट्रंप की धमकी और भारत का 20,000 करोड़ का जवाब”

भारत पर भारी पड़ेगा नया अमेरिकी टैरिफ?
क्या एक्सपोर्टर्स की कमर टूटेगी या भारत का जवाब होगा ट्रंप से भी ज़्यादा तेज?”

नमस्कार, आप देख रहे हैं राष्ट्रीय विशेष रिपोर्ट, और आज हम बात कर रहे हैं उस बड़े टेरिफ बम की जो अमेरिका से भारत पर गिरने वाला है — और भारत की 20,000 करोड़ की जवाबी चाल की।

आइए समझते हैं पूरा घटनाक्रम, पीछे की राजनीति और आगे की रणनीति।

संकट की जड़: डॉनल्ड ट्रंप की धमकी

डॉनल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति हैं और उनका कहना है:

India is not a good trading partner.

और इसके साथ ही अमेरिका ने 25% से ऊपर के टैरिफ का ऐलान किया है, खासकर उन सेक्टर्स पर जो भारत की इकोनॉमी की रीढ़ हैं — टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स, सी-फूड, इलेक्ट्रॉनिक्स।

👀 कारण क्या दिया गया?

  • ट्रेड इंबैलेंस
  • नेशनल सिक्योरिटी
  • और रूस-भारत व्यापार पर नाराज़गी

ट्रंप चाहते हैं कि भारत रूस से तेल ना खरीदे। लेकिन भारत ने खुलकर अमेरिका को दिखाया कि अमेरिका और यूरोप खुद रूस से ट्रेड कर रहे हैं, और हमें सिर्फ टारगेट करना गलत है।

झटका कितना बड़ा?

“2023-24 में भारत का US को एक्सपोर्ट: $78 बिलियन”
उसमें से लगभग 35% एक्सपोर्ट अब खतरे में है।

📌 टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का 40% अकेले अमेरिका में
📌 सी-फूड एक्सपोर्टर्स पर थाईलैंड, वियतनाम भारी पड़ सकते हैं
📌 जेम्स एंड ज्वेलरी उद्योग – खासतौर पर सूरत और मुंबई – अस्थिर
📌 इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर – बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना

भारत की रणनीति: 20,000 करोड़ का ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन’

सरकार अब सिर्फ रिएक्ट नहीं, प्रिएक्टिव हो रही है।

🎯 मिशन का उद्देश्य:

  • टारगेटेड रिलीफ
  • मार्केट डायवर्सिफिकेशन
  • ब्रांड इंडिया प्रमोशन
  • एक्सपोर्ट ईकोसिस्टम को मज़बूत करना

📅 फेज 1 (2025-26): ₹2,250 करोड़
📅 फेज 2 (2026-2031): ₹20,000 करोड़

🚀 मिशन की मुख्य बातें:

प्राथमिक क्षेत्रयोजना
क्रेडिट सपोर्टMSMEs को आसान फाइनेंसिंग
मार्केट डायवर्सिफिकेशनASEAN, मिडिल ईस्ट, अफ्रीका को टारगेट
रेगुलेटरी सहायताक्वालिटी सर्टिफिकेशन, पैकेजिंग, सेफ्टी
ब्रांड इंडियाविदेशों में ट्रेड फेयर, डिजिटल कैंपेन
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चरभारत ट्रेड नेट पोर्टल
इनोवेशन व क्वालिटी अपग्रेडअंतरराष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी को बढ़ावा
प्रोडक्ट स्पेसिफिक इंसेंटिवWTO नियमों के अनुसार सीमित सहायता

WTO का कांटा: क्या भारत की योजना वैध है?

डायरेक्ट कैश ट्रांसफर एक्सपोर्टर्स के लिए WTO के नियमों के खिलाफ है।
इसलिए सरकार ने चुनी है इंडायरेक्ट हेल्प की राह:

WTO-कंप्लायंट स्कीम्स:

  • RoDTEP (Remission of Duties and Taxes on Exported Products)
  • PLI (Production Linked Incentive)
  • Interest Equalisation Scheme

🎯 मकसद है — मदद भी मिले और नियमों का उल्लंघन भी न हो।

भारत की डिप्लोमैटिक चालें भी तेज़

भारत सिर्फ मिशन नहीं, मिशनरी रणनीति अपना रहा है:

  • US के साथ बैकचैनल बातचीत
  • ASEAN, अफ्रीका, गल्फ देशों में इंडियन मिशन एक्टिव
  • भारत चाहता है: टेक्सटाइल, स्पाइसेस, ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ छूट

क्या यह एक स्मार्ट मूव है?

ज़रूर। क्योंकि:

✅ यह लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी है
✅ इससे MSMEs को मजबूती मिलेगी
✅ यह हमें US पर निर्भरता से आज़ाद करेगा
आत्मनिर्भर भारत को नया पुश मिलेगा
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्डर में भारत की साख बनी रहेगी

निष्कर्ष:

डॉनल्ड ट्रंप का टैरिफ अटैक भारत के लिए खतरा है,
लेकिन भारत अब वो नहीं जो चुपचाप बैठेगा।
यह मिशन सिर्फ एक जवाब नहीं, एक भविष्य की योजना है।

क्योंकि अगर वैश्विक व्यापार का रास्ता मुश्किल है — तो भारत उसे और बेहतर बनाने का माद्दा रखता है।