नई दिल्ली: भारत ने अपनी परिवहन क्षमताओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एयरबस से 15 अतिरिक्त C-295 परिवहन विमानों की खरीद की योजना बनाई है, जो पहले से अनुबंधित 56 विमानों से अलग होंगे। इन नए विमानों में से 12 का निर्माण टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) द्वारा भारत में किया जाएगा, जबकि तीन विमान सीधे उड़ान-स्थित में प्राप्त किए जाएंगे।
28 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ संयुक्त रूप से वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करेंगे, जो भारत में सैन्य विमान के लिए पहला निजी क्षेत्र का अंतिम असेंबली लाइन (FAL) कॉम्प्लेक्स होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, यह सुविधा न केवल विमान के निर्माण तक सीमित होगी बल्कि इसमें विमान के पूरे जीवनचक्र की देखभाल की जाएगी, जिसमें परीक्षण, योग्यता, और रखरखाव भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, 15 अतिरिक्त विमानों में से तीन को उड़ान-स्थित में शीघ्र प्राप्त किया जा सकता है, जबकि बाकी 12 विमानों में 78% तक स्वदेशीकरण किया जाएगा। ये विमान रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित समुद्री टोही भूमिका के लिए होंगे।सितंबर 2021 में भारत ने पहले ही एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, स्पेन के साथ ₹21,935 करोड़ का अनुबंध किया था, जिसके तहत 56 C-295 विमान भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे जा रहे हैं।
इनमें से 16 विमान स्पेन से सीधे उड़ान-स्थित में आएंगे, और शेष 40 का निर्माण भारत के वडोदरा में किया जाएगा।वर्तमान में, भारतीय वायुसेना (IAF) ने वडोदरा में स्थित अपने 11 स्क्वाड्रन में छह विमान पहले ही शामिल कर लिए हैं, और सितंबर 2023 में पहला C-295 विमान डिलीवर किया गया था। अंतिम 16 उड़ान-स्थित विमान अगस्त 2025 तक डिलीवर किए जाएंगे। भारत में निर्मित 40 विमानों में से पहला C-295 विमान सितंबर 2026 में तैयार होगा और 2031 तक सभी 40 विमान वायुसेना में शामिल कर लिए जाएंगे।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स द्वारा स्वदेशीकरण के तहत पहले 16 विमानों में 48% तक का योगदान होगा, जो अगले 24 विमानों में बढ़ाकर 75% कर दिया जाएगा। एयरबस की योजना के तहत C-295 के अधिकांश घटक भारत में निर्मित किए जाएंगे, जिनमें से 14,000 विस्तृत भागों में से 13,000 भारत में कच्चे माल से बनाए जाएंगे।
इसके लिए एयरबस ने 37 भारतीय कंपनियों की पहचान की है, जिनमें से 33 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम हैं।इस परियोजना से भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नई उपलब्धि का आगाज होगा और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी नई गति मिलेगी।