भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में लगातार दूसरी बार कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। गुरुवार को स्पेन के खिलाफ 2-1 की शानदार जीत के साथ, अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश को एक शानदार विदाई मिली। यह उपलब्धि 52 सालों में पहली बार हासिल की गई है, जब भारतीय टीम ने लगातार दो ओलंपिक में पदक जीता।
मैच का रोमांचक अंत:
मैच के अंतिम क्षणों में भारतीय टीम के लिए तनावपूर्ण स्थिति रही, क्योंकि स्पेन ने अंतिम मिनट में दो शॉर्ट कॉर्नर हासिल किए। लेकिन भारतीय रक्षा ने मजबूती से खड़े होकर सभी चुनौतियों का सामना किया और दबाव को सहन किया।
पिछली जीत की याद:
टोक्यो ओलंपिक में 41 साल के अंतराल के बाद कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से सभी की उम्मीदों पर खरा उतरा, भले ही खेलों के लिए तैयारी उतनी आदर्श नहीं रही हो। इससे पहले भारत ने 1968 (कांस्य) और 1972 (कांस्य) में लगातार ओलंपिक पदक जीते थे।
सेमीफाइनल की निराशा से उबरना:
जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में 2-3 की हार के बावजूद, भारतीय टीम ने स्पेन के खिलाफ मुकाबले में आक्रामक शुरुआत की और पहले क्वार्टर में ही गेंद पर कब्जा बनाए रखा। उप-कप्तान हार्दिक सिंह ने छठे मिनट में एक बेहतरीन मूव बनाते हुए सुखजीत सिंह को पास दिया, लेकिन उनका शॉट गोल से थोड़ा बाहर चला गया।
स्पेन का दबाव और भारत की वापसी:
दूसरे क्वार्टर में स्पेन ने अपनी गति बढ़ाई और 18वें मिनट में मिराल्स के पेनल्टी स्ट्रोक से बढ़त हासिल की। स्पेन ने इसके बाद भी कई पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए, लेकिन भारतीय रक्षा ने मजबूती से उनका सामना किया।
हाफटाइम से ठीक पहले, मनप्रीत सिंह की एक गलती के बाद भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिला और इस बार हरमनप्रीत ने निशाना साधते हुए स्कोर को बराबर कर दिया। तीसरे क्वार्टर में हरमनप्रीत का एक और शॉट स्पेनिश गोलकीपर लुइस कैलजादो ने रोक दिया।
चौथे क्वार्टर की चुनौतियां:
चौथे क्वार्टर में हार्दिक सिंह को एक हाथ की चोट के कारण मैदान से बाहर जाना पड़ा। इसके बावजूद, भारतीय टीम ने स्पेन के आक्रमणों को विफल किया और अपनी 2-1 की बढ़त को बनाए रखा।
अंतिम क्षणों में स्पेन का प्रयास:
मैच के अंतिम तीन मिनट में, स्पेन ने बराबरी का गोल हासिल करने के प्रयास में अपने गोलकीपर कैलजादो को हटा लिया, लेकिन भारतीय टीम ने अंतिम क्षणों में कोई गलती नहीं की और 2-1 से मैच जीतकर कांस्य पदक अपने नाम कर लिया।
समापन:
इस जीत के साथ, भारतीय हॉकी टीम ने न केवल एक ऐतिहासिक प्रदर्शन किया, बल्कि अपने दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश को एक यादगार विदाई भी दी। यह जीत भारतीय हॉकी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और आने वाले समय में टीम के लिए नई उम्मीदें जगाती है।