अमेरिकी विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए गलत दस्तावेज देने का आरोपी भारतीय छात्र स्वदेश लौटेगा

अमेरिका में एक विश्वविद्यालय में दाखिला पाने के लिए कागजात में हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भारतीय छात्र को अमेरिकी अधिकारियों के साथ हुए एक समझौते के तहत स्वदेश भेजा जाएगा।

आर्यन आनंद (19) ने शिक्षण सत्र 2023-2024 में पेंसिल्वेनिया के लेहाए विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा कराए थे।

लेहाए विश्वविद्यालय के छात्रों की ओर से प्रकाशित समाचार पत्र ‘द ब्राउन एंड व्हाइट’ की पिछले महीने की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पुलिस जांच में पाया गया है कि आनंद ने प्रवेश और वित्तीय सहायता संबंधी दस्तावेजों में हेरफेर की है।

खबर में कहा गया था कि उसने दाखिला और छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए ‘‘अपने पिता की मौत का झूठा दावा भी किया था।’’

आनंद पर मजिस्टेरियल डिस्ट्रिक्ट जज जॉर्डन निस्ले की अदालत में मुकदमा चलाया गया, जिसकी जमानत राशि 25 हजार अमेरिकी डॉलर थी। उसे जालसाजी के आरोप में दोषी ठहराया गया।

वेबसाइट ‘लेहाएवैलीलाइव डॉट कॉम’ ने बचाव पक्ष के वकील मौली हेइडोर्न के हवाले से बताया कि याचिका समझौते के तहत आनंद को एक से तीन महीने की सजा सुनाई गई, ‘जो उसके द्वारा जेल में बिताई गई अवधि’ के समान है।

इस समझौते के तहत आनंद को भारत लौटना होगा। लेहाए विश्वविद्यालय ने छात्र से 85,000 अमेरिकी डॉलर की क्षतिपूर्ति की मांग नहीं की। उसे रिहा करके अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया।

छात्र की ओर से प्रवेश के लिए दस्तावेजों में हेरफेर किए जाने का पूरा मामला तब सामने आया, जब उसने सोशल मीडिया मंच ‘रेडिट’ पर एक पोस्ट साझा किया, जिसका शीर्षक था ‘‘मैंने झूठ की बुनियाद पर अपना जीवन और करियर बनाया।’’

हालांकि, उस पोस्ट में उसने अपनी पहचान उजागर नहीं की थी, लेकिन हेरफेर के तरीके की विस्तृत जानकारी दी थी। बाद में आनंद ने उस पोस्ट को हटा दिया था, लेकिन पुलिस की जांच में पता चला कि यह पोस्ट आनंद ने ही किया था।

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