क्या रामचरितमानस विरोध अब भारी पड़ रहा है मौर्य पर?

‘रामचरितमानस’ को अपमानित करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को थप्पड़, जनता के सब्र का फूटा ज्वालामुखी?

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उस वक्त थप्पड़ मारा गया, जब वे मंच पर बोलने जा रहे थे।हमलावर युवक ने मंच पर चढ़कर नेता के चेहरे पर जोरदार तमाचा जड़ा। पुलिस ने हमलावर को तत्काल हिरासत में ले लिया है और पूछताछ जारी है।

स्वामी प्रसाद मौर्य बीते कुछ समय से लगातार ‘रामचरितमानस’ के खिलाफ विवादास्पद बयानबाज़ी करते रहे हैं। उन्होंने इसे ‘मनुवादी ग्रंथ’ बताते हुए उसकी प्रतियाँ जलवाईं, और कहा कि इसमें “शूद्रों और महिलाओं का अपमान है।”

इस बयानबाज़ी से न केवल हिंदू समाज, बल्कि देश भर की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुँचा।

जनता में नाराज़गी का माहौल:

“धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को अब जनता खुद जवाब दे रही है”, यह बयान उस व्यक्ति के परिजनों का है जिसने स्वामी प्रसाद को थप्पड़ मारा।माना जा रहा है कि यह हमला उस गुस्से का परिणाम है जो मौर्य के बयान और कृत्य से हिंदू समाज में उपजा।

हमलावर की पहचान:

पुलिस द्वारा पकड़े गए युवक की पहचान रोहित द्विवेदी के रूप में हुई है, जो ब्राह्मण समाज से संबंध रखते हैं।पूछताछ में रोहित ने पुलिस को स्पष्ट रूप से कहा:

“मौर्य ने बार-बार ब्राह्मणों का अपमान किया, रामचरितमानस और ऋषियों को गालियाँ दीं। मैं चुप नहीं रह सकता था, मैंने धर्म और जातीय सम्मान के लिए थप्पड़ मारा।”

राजनीतिक बयानबाज़ी:

भाजपा ने कहा है कि “रामचरितमानस का अपमान करने वाला आज जनता से थप्पड़ खा रहा है, यह चेतावनी है सभी पाखंडी नेताओं के लिए।”

वहीं, सपा ने इसे साज़िश बताते हुए कहा है कि “यह हमला राजनीतिक असहिष्णुता का उदाहरण है।”

सुरक्षा में भारी चूक:

सवाल यह भी उठ रहा है कि एक VIP नेता की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?क्या प्रशासन ने पहले से खतरे की आशंका को नज़रअंदाज़ किया?

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया:

इस घटना का वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।“राम का अपमान करने वालों को राम ही सबक सिखा रहे हैं”“यह थप्पड़ नहीं, हिंदू अस्मिता की चेतावनी है”जैसी प्रतिक्रियाओं से इंटरनेट भरा पड़ा है।

निष्कर्ष:

धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने की जो राजनीति कुछ नेताओं ने अपना ली है, वह अब सीधे जनता के गुस्से से टकरा रही है।स्वामी प्रसाद मौर्य का यह थप्पड़ महज़ एक व्यक्ति की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उन करोड़ों लोगों की भावनाओं का विस्फोट है, जिनकी श्रद्धा को लगातार चोट पहुँचाई गई है।