ईरान-इजराइल संघर्ष और वैश्विक असर

आज का दिन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बनकर उभर सकता है – 26 अक्टूबर 2024 को, इजराइल ने ईरान पर एक बड़ा हमला शुरू कर दिया है। यह हमला ईरान द्वारा 1 अक्टूबर 2024 को इजराइल पर हुए हमले के जवाब में किया गया है। यह हमला केवल दो देशों के बीच नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

इजराइल का हमला: बड़ी कार्रवाई और संभावित रणनीति

इजराइल ने इस हमले में 140 से अधिक फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया। इस हमले का मुख्य लक्ष्य ईरान की राजधानी तेहरान और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने थे। सूत्रों के अनुसार, ईरान के मिसाइल निर्माण संयंत्र और सतह-से-हवा मिसाइल डिफेंस सिस्टम नष्ट कर दिए गए हैं। इससे ईरान की हवाई सुरक्षा कमजोर हो चुकी है, और इजराइल को अब भविष्य में ईरानी हवाई क्षेत्र में घुसने की क्षमता मिल गई है।

विश्वभर का ध्यान: सऊदी अरब और अमेरिका की भूमिका

इजराइल-ईरान संघर्ष का असर सऊदी अरब पर भी हो सकता है। अमेरिका ने पहले ही सऊदी अरब को आश्वासन दिया है कि अगर ईरान सऊदी के तेल भंडार पर हमला करता है, तो अमेरिका उसके रक्षा में खड़ा रहेगा। इस संघर्ष के बीच, अमेरिका ने इजराइल को सीधे सैन्य सहायता नहीं दी, परन्तु अमेरिकी मीडिया और कुछ सीनेटरों ने इस हमले का समर्थन किया है।

भारत पर असर: वैश्विक व्यापार और रणनीतिक हित

भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है। पश्चिम एशिया में युद्ध की स्थिति बनने से भारतीय व्यापार मार्ग प्रभावित हो सकते हैं। खासकर “इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर” और नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यह भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक बड़ा जोखिम बन सकता है।

रूस की स्थिति: एक संभावित नई धुरी

अगर यह संघर्ष आगे बढ़ता है और ईरान पर लगातार हमले होते हैं, तो रूस का इस विवाद में शामिल होना संभव है। रूस ईरान का रणनीतिक साझेदार है, और अगर स्थिति गंभीर होती है, तो वैश्विक संघर्ष की संभावना भी बढ़ सकती है।

निष्कर्ष: क्या यह संघर्ष यहीं थम जाएगा?

इजराइल का यह हमला तीन चरणों में हुआ, जिसमें उन्होंने ईरान की कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। इजराइल ने इस बात का संकेत दिया है कि उनका हमला अब समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद, यदि ईरान जवाबी कार्रवाई के रूप में बड़े पैमाने पर मिसाइल हमला करता है, तो यह संघर्ष और बढ़ सकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह एक अस्थिरता का कारण बन सकता है।

इसलिए, भारत सहित अन्य देशों के लिए आवश्यक है कि वे स्थिति पर निकट से नजर बनाए रखें और किसी भी संभावित तनाव से अपने हितों की रक्षा के उपाय करें।

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