इसरो अनंत टेक्नोलॉजीज द्वारा स्थापित नेविगेशन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन

इसरो प्रमुख ने कहा — भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने के लिए रणनीतिक तकनीकों में आत्मनिर्भरता जरूरी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने अनंत टेक्नोलॉजीज द्वारा स्थापित नेविगेशन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह अवसर उनके लिए बेहद विशेष है और यहां पहुंचकर उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे वे अपने ही इसरो परिवार के बीच मौजूद हों।

उन्होंने बताया कि अपने काम के दौरान वे लगभग 30 प्रतिशत समय देशभर की यात्रा में बिताते हैं, जिसके कारण उनके मन में कभी-कभी ऑफिस से दूर रहने की असहजता होती है। लेकिन इस आयोजन में उपस्थित विशेषज्ञों और तकनीकी टीम को देखकर यह असहजता पूरी तरह खत्म हो गई।

डॉ. नारायणन ने नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम को अत्यंत जटिल और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों का ज्ञान उनसे कई गुना अधिक है। उन्होंने 1993 में रूस की यात्रा को याद करते हुए कहा कि उसी दौरान उन्होंने पहली बार लेजर जाइरोस्कोप का नाम सुना था। बेहद कठिन परिस्थितियों में भारत के लिए उसकी तकनीक और ड्रॉइंग्स लाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।

उन्होंने गर्व व्यक्त किया कि आज वही उन्नत तकनीक भारत में एक निजी संगठन द्वारा विकसित की जा रही है। इसे उन्होंने देश के तकनीकी परिवर्तन और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बताया।

इसरो प्रमुख ने आगे कहा कि भारत को विकसित भारत बनाने के लिए विशेष रूप से रणनीतिक और उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में इंपोर्ट पर निर्भरता लगभग समाप्त करनी होगी। लॉन्च व्हीकल, अंतरिक्ष यान और विमान—सभी में नेविगेशन सिस्टम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में कहा कि पारंपरिक थिबावली रॉकेट 25–30 प्रतिशत समय काम नहीं करता और जब करता है तो किसी भी दिशा में चला जाता है, लेकिन भारत के लॉन्च व्हीकल को ठीक उसी दिशा में जाना होता है जहां वैज्ञानिक उसे भेजना चाहते हैं। इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी वैज्ञानिक और तकनीकी टीमें निरंतर कार्य कर रही हैं।