भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब पृथ्वी से आगे निकल कर हमारे पड़ोसी ग्रह शुक्र की ओर नजरें गड़ा रहा है। एजेंसी ने अपने शुक्रयान मिशन (Venus Orbiter Mission) पर काम तेज कर दिया है, जिसका मकसद शुक्र ग्रह के वातावरण, सतह और मौसम को नजदीक से समझना है।
शुक्रयान से मिलने वाला डाटा ग्रह की मोटी सल्फ्यूरिक एसिड वाली परत, बादलों में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं और वहां की भीषण गर्मी को समझने में मदद करेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र को जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसका आकार और घनत्व पृथ्वी जैसा है, लेकिन वहां की जलवायु पूरी तरह अलग है। यह तुलना भविष्य में पृथ्वी के मौसम और जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए अहम संकेत दे सकती है।
इसरो ने इस मिशन के लिए कक्षीय यान का डिजाइन लगभग तैयार कर लिया है। यान में उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर और प्लाज़्मा जांच जैसे उपकरण होंगे, जो ग्रह के ऊपरी और निचले वायुमंडल का बारीकी से अध्ययन करेंगे। लॉन्च के लिए समय तय नहीं हुआ है, लेकिन संगठन 2030 के दशक की शुरुआत तक इसे भेजने का लक्ष्य रख रहा है।
मंगलयान और चंद्रयान जैसी सफलताओं के बाद शुक्रयान भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को एक और पायदान ऊपर ले जाएगा। यह न सिर्फ वैज्ञानिक खोजों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत को उन देशों की कतार में खड़ा करेगा जो गहरे अंतरिक्ष अभियानों में लगातार कदम बढ़ा रहे हैं।
शुक्र ग्रह तक की यह नई उड़ान सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान की कहानी नहीं, बल्कि इसरो की उस जिज्ञासा का सबूत है जो हमें बार-बार नए आकाश की तलाश में भेजती है।