कोलकाता रेप-मर्डर केस: पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल और घटनाक्रम की पूरी तस्वीर

कोलकाता में हाल ही में हुई एक महिला के रेप-मर्डर केस ने पूरे देश में गुस्से और नाराजगी की लहर पैदा कर दी है। मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बावजूद, इस मामले में कई अनसुलझे सवाल हैं जो न्याय की मांग करने वाले लोगों के बीच असंतोष का कारण बने हुए हैं। कोलकाता पुलिस द्वारा दी गई जानकारी ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है, जिससे समाज में न्याय की मांग और तेज हो गई है।

घटना की पृष्ठभूमि

9 अगस्त की सुबह, कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में एक महिला का शव अर्धनग्न अवस्था में पाया गया। पुलिस की समयरेखा के अनुसार, इस घटना से जुड़ी कई अनियमितताएँ सामने आई हैं, जिन पर अब कई सवाल उठ रहे हैं। मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद भी, पीड़िता के परिवार और वकीलों ने पुलिस की प्रक्रिया पर गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं।

घटनाक्रम की समयरेखा

सुबह 9:30 बजे:
फर्स्ट ईयर के ट्रेनी ने पीड़िता महिला के शव को दूर से देखा और तुरंत अपने सहकर्मियों और वरिष्ठ डॉक्टरों को इसकी सूचना दी।

सुबह 10:10 बजे:
पुलिस स्टेशन को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पुलिस चौकी से घटना की सूचना मिली कि इमरजेंसी की तीसरी मंजिल पर एक सेमिनार रूम में एक महिला का शव लकड़ी पर पड़ा है। शव अर्धनग्न अवस्था में पाया गया।

सुबह 10:30 बजे:
पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे, जायजा लिया और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया। घटनास्थल की घेराबंदी की गई।

सुबह 10:52 बजे:
अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने पीड़िता के परिवार को सूचित किया और उन्हें जल्दी आने के लिए कहा।

सुबह 11:00 बजे:
पुलिस टीम के अन्य सदस्य भी घटनास्थल पर पहुंच गए।

दोपहर 12:25 बजे:
जासूसी विभाग के वैज्ञानिक विंग के फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर घटनास्थल पर पहुंचे। 12:29 बजे शव की पहली तस्वीर ली गई।

दोपहर 12:44 बजे:
ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने पीड़िता की जांच की और उसे मृत घोषित किया।

दोपहर 1:00 बजे:
पीड़िता के माता-पिता अस्पताल पहुंचे और उन्हें सेमिनार रूम में ले जाया गया।

दोपहर 1:47 बजे:
पीड़िता का मेडिकल सर्टिफिकेट और मृत्यु प्रमाण पत्र पुलिस को सौंपा गया। पुलिस ने मृत शरीर पर चोटों के निशान देखे और अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया।

दोपहर 3:00 बजे:
पीड़िता के परिवार और सहकर्मियों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में जांच और पोस्टमार्टम की मांग की।

शाम 4:10 बजे:
न्यायिक मजिस्ट्रेट पहुंचे और 4:20 से 4:40 बजे के बीच जांच की गई।

शाम 6:10 बजे – 7:10 बजे:
फोरेंसिक डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम किया गया।

रात 8:00 बजे:
डॉग स्क्वायड घटनास्थल पर पहुंचा।

रात 8:37 बजे – 8:52 बजे:
अपराध स्थल की 3D मैपिंग की गई।

रात 8:30 बजे – 10:45 बजे:
फोरेंसिक टीम ने 40 साक्ष्य जब्त किए, उनकी वीडियोग्राफी की गई, और स्थानीय गवाहों से पूछताछ की गई।

रात 11:45 बजे:
पीड़िता के पिता की शिकायत के आधार पर रेप-मर्डर के आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई।

पुलिस की प्रतिक्रिया और उठते सवाल

कोलकाता पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के घटनाक्रम और अपनी कार्रवाई की समयसीमा के बारे में विस्तृत जानकारी दी। हालांकि, पुलिस की इस रिपोर्ट से कई प्रश्न उत्पन्न हुए हैं:

  • समय की अनियमितता: शव को पहली बार 9:30 बजे देखा गया, और डॉक्टर ने दोपहर 12:44 बजे मृत घोषित किया। इस बीच लगभग तीन घंटे का अंतराल है, जिसे पुलिस उचित ठहरा रही है, जबकि वकीलों और पीड़िता के परिवार ने इसे संदिग्ध बताया है।
  • जानकारी में विसंगति: पुलिस की रिपोर्ट में पीड़िता के मौत से पहले 3 घंटे इंतजार करने की बात नहीं की गई, जबकि पीड़िता के माता-पिता ने यह दावा किया है कि उन्हें मौत की सूचना में गड़बड़ी हुई।
  • एफआईआर दर्ज करने में देरी: शव मिलने के लगभग 14 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई, जो कि अप्राकृतिक मौत के मामले में असामान्य है। इससे न्यायाधीशों ने पुलिस की प्रक्रिया पर सवाल उठाया है।
  • प्रक्रिया का पालन: वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पुलिस ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया है, लेकिन सीबीआई और पीड़िता के परिवार ने पुलिस की प्रक्रिया पर आपत्तियाँ जताई हैं।

न्यायालय और वकीलों की टिप्पणियां

  • सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि डॉक्टर को यह जानने की जरूरत नहीं थी कि शव है या नहीं, और पुलिस को घटनास्थल को सुरक्षित रखने में देरी हो गई।
  • पीड़िता के परिवार: उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि उन्हें सुबह 10:53 बजे अस्पताल से फोन आया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब है, और सुबह 11:15 बजे एक और कॉल आया कि उसकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। पुलिस की टाइमलाइन में आत्महत्या का कोई उल्लेख नहीं है।
  • हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट: दोनों ने सवाल उठाया है कि अप्राकृतिक मौत का मामला क्यों दर्ज किया गया, और एफआईआर दर्ज करने में इतनी देर क्यों हुई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पुलिस की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज करने में देरी अस्वीकार्य है।

समाज में प्रतिक्रिया

कोलकाता महिला रेप-मर्डर घटना से पूरे देश में गुस्से और नाराजगी की लहर दौड़ गई है। न्याय की मांग को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। समाज ने पुलिस की कार्रवाई और मामले की जांच पर कड़ा सवाल उठाया है, और यह मांग की जा रही है कि मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित की जाए।

निष्कर्ष

कोलकाता रेप-मर्डर केस में पुलिस की कार्रवाई और समयसीमा को लेकर कई सवाल उठे हैं, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले हैं। पीड़िता के परिवार और वकीलों ने पुलिस की प्रक्रिया पर आपत्तियाँ जताई हैं, जबकि पुलिस ने अपनी प्रक्रिया का पालन किया है। इस मामले ने समाज में न्याय की मांग को और भी मजबूती प्रदान की है, और उम्मीद की जा रही है कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच से सत्य सामने आएगा और दोषियों को उचित सजा मिलेगी।

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