लालू यादव का ‘पारिवारिक ड्रामा’ या चुनावी स्टंट? तेज प्रताप पर कार्रवाई से उठे सवालबिहार की राजनीति में एक नया तूफान आ गया है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। साथ ही परिवार से भी बेदखल कर दिया गया। वजह? सोशल मीडिया पर तेज प्रताप ने एक महिला के साथ अपने 12 साल पुराने रिश्ते को सार्वजनिक किया था।लेकिन असली सवाल ये है—क्या ये सच में नैतिकता का सवाल है या चुनावी चाल?तेज प्रताप का खुलासा या हैकिंग का बहाना?तेज प्रताप ने फेसबुक पर अनुष्का यादव नाम की महिला के साथ अपने संबंध को कबूलते हुए लिखा कि वो 12 साल से एक-दूसरे को जानते हैं और प्यार करते हैं। लेकिन कुछ ही देर में तेज प्रताप ने दावा कर दिया कि उनका अकाउंट हैक हो गया था! सवाल ये है—अगर पोस्ट झूठा था, तो इतनी बड़ी सज़ा क्यों?लालू की नैतिकता की राजनीति पर सवाललालू ने सोशल मीडिया पर लिखा कि तेज प्रताप का व्यवहार “पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के संघर्ष” के खिलाफ है। लेकिन यही सवाल विपक्ष उठा रहा है—जब तेज प्रताप की पहली पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ परिवार ने दुर्व्यवहार किया था, तब लालू जी की नैतिकता कहाँ थी? क्या तब पारिवारिक मूल्य नहीं टूटे थे?तेज प्रताप—’बलि का बकरा’?तेज प्रताप हमेशा अपने अनोखे रूपों—कृष्ण, शिव, अर्जुन—के लिए चर्चा में रहते हैं। क्या उन्हें अब ‘राजनीतिक बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है ताकि चुनाव से पहले आरजेडी खुद को ‘नैतिक’ दिखा सके?विपक्ष के सवाल तीखेबीजेपी का आरोप है कि यह सब “राजनीतिक स्टंट” है।जेडीयू ने कहा कि जब तेज प्रताप ने पहले भी परिवार की मर्यादा तोड़ी थी, तब कार्रवाई क्यों नहीं हुई?चिराग पासवान की पार्टी ने इसे “चुनाव को देखते हुए ड्रामा” कहा है।तेजस्वी और रोहिणी ने साधी दूरीतेजस्वी यादव ने बयान देकर कहा कि “राजनीतिक और निजी जीवन अलग होता है”, वहीं रोहिणी आचार्य ने इशारों में तेज प्रताप पर हमला बोला कि “मर्यादा तोड़ने वाले आलोचना के पात्र बनते हैं।”निष्कर्ष: क्या सचमुच नैतिकता, या सिर्फ सियासी नौटंकी?लालू यादव के इस फैसले से यह सवाल गूंज रहा है—क्या यह फैसला पारिवारिक प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए था, या जनता की भावनाओं से खेलने की एक और चाल? चुनावी मौसम में तेज प्रताप का यह ‘निकाला जाना’ कहीं सिर्फ दिखावा तो नहीं?बिहार की जनता सब देख रही है।