इम्फाल:- मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हाल ही में राज्य के जिरीबाम जिले में हुई हिंसा और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के हस्तक्षेप की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआरपीएफ की तत्परता ने बोरोबेकरा गांव के एक राहत शिविर में रह रहे 115 लोगों की जान बचाई। यह राहत शिविर उन आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों का आश्रय स्थल है, जो राज्य में हालिया अशांति के कारण घर छोड़ने पर मजबूर हुए थे।10 कुकी उग्रवादी मारे गए11 नवंबर को जिरीबाम के बोरोबेकरा में हुए हमले में 10 कुकी उग्रवादी मारे गए। ये उग्रवादी रॉकेट लॉन्चर, एके-47, और अन्य आधुनिक हथियारों से लैस थे। उन्होंने पहले पुलिस शिविर पर हमला किया, जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई, और इसके बाद राहत शिविर में घुसने की कोशिश की। मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर सीआरपीएफ समय पर नहीं पहुंचती, तो कई निर्दोष नागरिक मारे जाते।”
सीआरपीएफ का बहादुरी भरा हस्तक्षेप
सीआरपीएफ ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए उग्रवादियों की योजना को विफल कर दिया। इस मुठभेड़ में एक सीआरपीएफ जवान घायल हुआ, लेकिन बल ने सभी 10 हमलावरों को मार गिराया।
बंधकों की हत्या और हिंसा का दौर
हमले के दौरान, उग्रवादियों के एक अन्य समूह ने छह लोगों को बंधक बना लिया, जिनमें तीन बच्चे शामिल थे। बाद में इन सभी को बेरहमी से मार दिया गया। पुलिस सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि उग्रवादियों ने मैतेई समुदाय के दो वरिष्ठ नागरिकों की हत्या कर दी और उनके घरों में तोड़फोड़ व आगजनी की।
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस घटना को “अमानवीय और असहनीय अपराध” करार दिया। उन्होंने कहा, “हम इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।”
राजनीतिक और सुरक्षा प्रभाव
इस घटना ने मणिपुर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौतियों को एक बार फिर उजागर किया है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार और सुरक्षा बलों से राज्य में और अधिक सहायता की अपील की है। इस बीच, सीआरपीएफ के इस साहसिक कदम की पूरे राज्य में सराहना हो रही है।यह घटना मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जारी तनाव को और गहरा करती दिख रही है, जो राज्य की स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।