आजकल मोबाइल हमारे हाथ में सबसे निजी डायरी जैसा है। लेकिन जिस तरह हम हर ऐप को आसानी से लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स और ब्राउज़िंग डाटा तक पहुँच दे देते हैं, वही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बन रहा है। कई ऐप्स और वेबसाइटें बैकग्राउंड में हमारी आदतों, सर्च पैटर्न और यहां तक कि रियल-टाइम मूवमेंट तक ट्रैक कर लेती हैं। इससे न केवल विज्ञापन कंपनियां हमारी पसंद का अंदाज़ा लगाती हैं, बल्कि साइबर अपराधियों को भी मौका मिल सकता है।
ट्रैकिंग कैसे होती है
ज्यादातर ट्रैकिंग कुकीज़, लोकेशन सर्विस, माइक्रोफोन और कैमरा परमिशन के ज़रिये होती है। कई बार यूज़र बिना सोचे समझे “Allow” पर क्लिक कर देते हैं। एक बार इजाज़त मिल जाने के बाद ऐप्स हमारे हर इस्तेमाल किए गए नेटवर्क, डिवाइस आईडी और ब्राउज़िंग हिस्ट्री को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
बचाव के आसान तरीके
- ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसकी प्राइवेसी पॉलिसी और मांगी गई परमिशन ध्यान से पढ़ें।
- जरूरत न होने पर लोकेशन, माइक्रोफोन और कैमरा एक्सेस को ऑफ रखें।
- ब्राउज़र में इन्कॉग्निटो मोड या प्राइवेसी-फोकस्ड ब्राउज़र का इस्तेमाल करें।
- समय-समय पर कुकीज़ और कैश क्लियर करें।
डिजिटल दुनिया में पूरी तरह अदृश्य होना मुश्किल है, लेकिन थोड़ी सतर्कता से आप अपनी निजी जानकारी पर बेहतर नियंत्रण रख सकते हैं। मोबाइल सिर्फ सुविधा का साधन है, अपनी गोपनीयता की कीमत पर इसे हथियार बनने न दें।