दिल्ली में गुरुवार को मेरा देश पहले: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ नरेंद्र मोदी नाम का बड़ा कार्यक्रम हुआ। मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के बचपन के संघर्ष और उनकी उपलब्धियों को चमकदार तरीके से दिखाया गया। राजनीति, साहित्य और फिल्म जगत के कई लोग मौजूद थे। माहौल ऐसा था जैसे कोई चुनावी रैली हो, बस वोट मांगने की जगह तारीफों की बारिश हो रही थी।
भाजपा विधायक राज कुमार भाटिया ने कहा कि मोदी का मुश्किल हालात से उठकर यहां तक पहुंचना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली से निकली यह शुरुआत पूरे देश को नई ऊर्जा देगी। गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला ने तो मोदी को “व्यक्ति नहीं, संस्थान” बताया।
बीजेपी नेता सतीश उपाध्याय ने कहा कि कुछ दृश्य इतने भावुक थे कि लोगों की आंखों में आंसू आ गए। साथ ही राहुल गांधी पर तंज भी कसा कि उनकी बातों का अब कोई मतलब नहीं।
तारीफें खूब हुईं, तालियां भी जमकर बजीं, लेकिन सवाल हवा में तैरता रहा—क्या यह सच में कला का मंच था या चुनाव से पहले चमक बिखेरने का नया तरीका? जब नेता किसी इंसान को ही “संस्थान” कहने लगें तो समझदार दर्शक यह फर्क आसानी से पकड़ लेते हैं कि प्रेरणा और प्रचार में कितनी दूरी बची है।